उद्देश्यपूर्ण अनुवाद मीडिया की जरूरत: प्रो. उषा रानी
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जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में मंगलवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ जिसका विषय मीडिया के क्षेत्र में अनुवाद की बढ़ती प्रासंगिकता था।इस मौके पर मुख्य अतिथि प्रो. उषा रानी राव ने कहा कि बोलियों का जब संस्कार होता है तब वह भाषा बनती है। वर्तमान में रोजगारमूलक विषय प्रमुख है। अनुवाद ने वैश्विक साहित्य के द्वार को खोला है। आज उद्देश्यपूर्ण अनुवाद की मीडिया को जरूरत है। जैसे वेशभूषा से संस्कृति की पहचान होती है, वैसे ही भाषा से देश की पहचान होती है। अनुवाद वर्तमान समय मे एक महत्वपूर्ण विधा के रूप में सामने आया है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहीं कुलपति प्रो. निर्मला मौर्य ने कहा कि अनुवाद में कोई न कोई ताकत तो है जो हमें मातृभाषा की ओर आकर्षित करती है। हिंदी बोलने से हमारा अपमान नहीं होता। इस संकोच को मन से निकालने की जरूरत है तभी हमारी भाषा का विकास होगा। उन्होंने अपनी पुस्तक गर्भ संस्कार भेंट करते हुए कहा कि इसे छात्राओं को जरूर पढ़ना चाहिए इसमें पूरे गर्भ संस्कार के बारे में महत्वपूर्ण चीज दी गई है।
विशिष्ट वक्ता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के डॉ सत्य प्रकाश पाल ने कहा कि आज विज्ञापनों के दौर में भी हिंदी का प्रयोग किया जाता है तो हिंदी भाषा को बोलने में कोई हिचक नहीं करना चाहिए। हिंदी विश्व स्तर पर एक पहचान बना रही है। अगर हम अपनी भाषा और संस्कृति से कटते है तो हम अपने मूल से भी अलग हो जाते है। हिंदी अब लोकल से ग्लोबल होने लगी है। ऐसे में अगर भाषा जीवित रहेगी तो हमारा समाज और हमारी संस्कृति भी जीवित रहेगी। हिन्दी को बढ़ाने में शिक्षण संस्थान से अधिक सिनेमा जगत का योगदान है।
विषय प्रवर्तन करते हुए डा. सुनील कुमार ने कहा कि सूचना सभी तक सही पहुँचे, इसलिए अनुवाद की आवश्यकता होती है। अतिथियों का परिचय डॉ नितेश जायसवाल ने दिया। संचालन डॉ अवध बिहारी सिंह और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. देवराज सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रो. अविनाश पाथर्डीकर, प्रो. बीडी शर्मा, प्रो. मिथिलेश सिंह, डॉ प्रमोद यादव, प्रमोद कुमार, डॉ जान्हवी श्रीवास्तव, डॉ श्याम कन्हैया, डॉ चन्दन सिंह, डॉ सुशील सिंह, रेखा पाल सहित तमाम लोगों की उपस्थिति रही।