कुंडली की तरह अनुवांशिकी बीमारी वाले जींस का भी मिलान: प्रो.प्रदीप कुमार
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जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर का चेन्नई के गुरुनानक ऑटोनोमस कॉलेज में मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग के अंतर्गत जेनेटिक पॉली मोर्फिसम विषय पर शुक्रवार को वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रो. प्रदीप कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा तीव्र गति से बदल रही है और इन परिवर्तनों का स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के तरीके पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है। टेलीमेडिसिन से लेकर वैयक्तिकृत चिकित्सा तक, स्वास्थ्य सेवा के भविष्य को आकार देने में प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। ये परिवर्तन मरीज में सुधार करने, उपचार को अधिक प्रभावी बनाने और अंततः जीवन बचाने में मदद कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वैयक्तिकृत चिकित्सा स्वास्थ्य का भविष्य है। कोविड -19 के संक्रमण ने ये साबित किया है कि आपकी अनुवांशिकी आपको किसी बीमारी के होने वाले खतरे और मृत्यु दर को कम या ज्यादा कर सकती है। यह भी पता चला कि रोग की गंभीरता एवं उनसे होने वाली मृत्यु दर कैसे जेनेटिक सरंचना द्वारा प्रभावित होती है। एक ही दवा हर मरीज के लिए एक ही प्रकार से कारगर नही हो पाती है । यह उसके अनुवांशिक सरंचना पर निर्भर करता है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा 2015 में परसनलाइज्ड मेडिसिन इनीशियेटिव शुरू किया था। विश्व भर में एकीकृत या व्यक्तिकृत चिकित्सा पर कार्य हो रहे है। जिस प्रकार शादी से पूर्व कुंडलियों का मिलान किया जाता है। ठीक उसी प्रकार से आने वाले समय में आपके सारे अनुवांशिकी बीमारी वाले जींस का मिलान किया जाने लगेगा। इससे विवाह पश्चात होने वाले बच्चे को होने वाले संभावित जेनेटिक रोगों से ग्रसित होने के बारे में बता कर सचेत किया जा सके।
उन्होंने कहा कि कोविड 19 के दौरान रक्त समूह और वैक्सीन हेसिटेंसी पर उनके द्वारा किये गए कार्य व ग्लूकोज 6 डिहाइड्रोजनेस डेफिसिएंसी और किसी व्यक्ति में किसी जीन में सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉली मोर्फिसम् होने से कैसे उस व्यक्ति में कई रोगों का जोखिम एक साथ बढ़ जाता है
रोगी की आनुवांशिक जानकारी के उपयोग ने वैयक्तिकृत चिकित्सा- फार्माको जेनोमिक्स के कुछ पहलुओं में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।
इसका मुख्य लक्ष्य सही रोगी को सही समय और खुराक पर सही उपचार प्रदान करना है,जो कि जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने और स्वास्थ्य देखभाल की लागत को कम करने में मदद करने की क्षमता है।
इस अवसर पर गुरु नानक कॉलेज प्रिंसिपल एमजी रघुनाथन, संकायाध्यक्ष डॉ नूरजहाँ, डॉ समुएल माथिमारं, डॉ सावित्री, डॉ सागरिका समेत सभी शिक्षक सभी छात्र-छात्राएं मौजूद थे।