जौनपुर। राजा हरपाल सिंह महाविद्यालय सिंगरामऊ में यूजीसी एचआरडीसी जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के सहयोग द्वारा 22 से 28 फरवरी तक चल रहे से ऑनलाइन सात दिवसीय फैकल्टी संवर्धन कार्यक्रम का मंगलवार को समापन हुआ। कार्यक्रम के अंतिम दिन प्रोफेसर ए.डी.एन. वाजपेई, कुलपति, अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय बिलासपुर, प्रोफेसर दिनेश चहल, केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा, प्रोफेसर सुधांशु सिन्हा, प्राचार्य डीएवी महाविद्यालय, लखनऊ, प्रोफेसर डीके सिंह, प्राचार्य यूपी कॉलेज, वाराणसी, प्रोफेसर आशुतोष कुमार गुप्ता,प्राचार्य, सहकारी पीजी कॉलेज मेहरावां, जौनपुर, कार्यक्रम के दौरान विशिष्ठ अतिथि जे रूप में उपस्थित रहे ।प्रोफेसर राजेश कुमार दुबे निदेशक यूजीसी एचआरडीसी जेएनवी विश्वविद्यालय जोधपुर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे जबकि अध्यक्षता प्रोफेसर इंदु पांडे खंडूरी डायरेक्टर एफडीसी विभागाध्यक्ष दर्शनशास्त्र विभाग हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय ने किया।मुख्य वक्ता के रूप में प्रो दिनेश चहल ने अपने व्याख्यान में बताया कि बुद्धिजीवी के साथ श्रमजीवी को पैदा करना ही नई शिक्षा नीति 2020 का मुख्य उद्देश्य है, इसके अतिरिक्त उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि शोध बोध से ही संभव है अगर उपयुक्त शोध से बोध होगा तो उच्च शिक्षा उत्तम शिक्षा के साथ मानवीय विकास की तरफ अग्रसर होगी।
इसके पश्चात प्रोफेसर सिन्हा ने अनुसंधान पैराडाइम की संकल्पना को व्यवहारिक तौर पर किस प्रकार अनुसंधानकर्ताओं द्वारा प्रयोग किया जाना चाहिए, इस संबंध में अपने विचार प्रस्तुत किए, तत्पश्चात प्रोफेसर आशुतोष गुप्ता जी व प्रोफेसर डी.के. सिंह ने नई शिक्षा नीति के महत्व तथा क्रियान्वयन की प्रक्रिया में सभी के सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर इंदु पांडे खंडूरी ने थिंक लोकली, प्लान नेशनली एंड एक्ट ग्लोबली का विचार दिया तथा नई शिक्षा नीति में मिश्रित अधिगम, तकनीकी हस्तांतरण तथा अनुसंधान शिक्षण को सम्मिलित करने पर बल दिया गया। इस ऑनलाइन फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर अरुण कुमार सिंह द्वारा किया गया।
कार्यक्रम को सुचारू रूप से संपन्न कराने में विशेष योगदान देने के लिए डॉ० योगेश कुमार शर्मा, डॉ० राजीव कुमार त्रिपाठी तथा यूजीसी एचआरडीसी के तकनीकी सहायक श्री प्रमोद यादव एवं अन्य विशिष्ट जनों के प्रति हिन्दी विभाग के सहायक आचार्य रमेश यादव जी द्वारा आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित किया।