दूर है जो उसे पास कर लीजिए, पतझरों को भी मधुमास कर लीजिए
जौनपुर। साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था कोशिश की मासिक काव्य गोष्ठी शिक्षक कॉलोनी नईगंज में प्रख्यात शायर आर पी सोनकर की अध्यक्षता में आयोजित हुई।
सुमति श्रीवास्तव की वाणी वंदना के पश्चात गिरीश कुमार गिरीश का मुक्तक/दूर है जो उसे पास कर लीजिए, पतझरों को भी मधुमास कर लीजिए, सारा संसार मुट्ठी में हो जायेगा, उर को उन्मुक्त आकाश कर लीजिए। श्रोताओं को भाव विभोर कर गया।प्रो आर एन सिंह का मुक्तक **दुश्मनों से भी मत कुछ गिला कीजिए**मानवीय मूल्यों का महत्व बता गया। जर्नादन अष्ठाना पथिक का गीत**उठत उर भादों पीर घनी**वियोग श्रृंगार का सटीक चित्र उकेर गया। रामजीत मिश्र का शेर ++पत्थर के साथ शीशा बन के रह न सकोगे/ये बात मगर पत्थरों से कह न सकोगे/समाज में व्याप्त विसंगति को आईना दिखा गया। प्रो पी सी विश्वकर्मा का**शेर बज्मे हस्ती में प्रेम तेरा कोई नहीं और नाम भी है/गोष्ठी को नई ऊंचाई प्रदान कर गया। अशोक मिश्र का दोहा**यह जोखन की लाश है/वह जुम्मन की लाश। कहां मरी संवेदना/इसकी करो तलाश ।**टूटते मानवीय मूल्यों पर प्रकाश डाल गया। अंसार जौनपुरी की पंक्ति**एक फूल उसके हाथ में देखा तो डर गया/श्रोताओं को संवेदित कर गई। अमृत प्रकाश , अशुतोष की गजल तो सुशील दुबे का गीत खूब पसंद किया गया।
संजय सागर के शेर और अनिल उपाध्याय की क्षणिका भी खूब चर्चित हुई।
गोष्ठी में इंदु प्रकाश मिश्र, फूलचंद भारती, एन बी सिंह नादान, श्रीमती दमयंती सिंह जी, डॉक्टर विमला सिंह जी, राजेंद्र सिंह एडवोकेट, उमाशंकर मिश्र आदि ने भाग लिया।
संचालन ख्यात व्यंगकार सभाजीत द्विवेदी प्रखर ने किया।
आभार व्यक्त किया अशोक मिश्र ने।