बकरी के बच्चों के निवाले पर डेंगू डाल रहा डाका

 

जौनपुर। जनपद में डेंगू के बढ़ते प्रकोप की स्थिति में लोग प्लेटलेट्स को बढ़ाने के लिए देशी नुस्खों का भी प्रयोग आजमा रहे हैं। डेंगू के साथ- साथ टायफायड, मलेरिया या सामान्य बुखार में भी प्लेटलेट्स की मात्रा में थोड़ी बहुत कमी आम बात हो गई है। प्लेटलेट्स को बढ़ाने में ये देशी नुस्खे कितने कारगर हैं यह अलग विचार का विषय है किन्तु किसी भी बुखार के कारण अगर प्लेटलेट्स में कमी आ रही है तो हमें केवल देशी नुस्खों के भरोसे न रहकर चिकित्सक के सम्पर्क में अवश्य रहना चाहिए। 

इस समय लोग प्लेटलेट्स को बढ़ाने के लिए कीवी फल, पपीते के पत्ते और फल, नारियल का पानी, गिलोय के साथ साथ बकरी के दूध का प्रयोग कर रहे हैं जिस कारण इनकी मांग बढ़ गई है।बकरी के दूध के अलावा जिन वस्तुओं का प्रयोग लोग आजमा रहे हैं उनकी पूर्ति को बढ़ाना आसान है किन्तु इस समय बकरी के ब्यात (बच्चा देंने) का सीजन चल रहा है जिन बकरियों ने बच्चे दिये हैं उनके बच्चे 15 से 20 दिनों के हैं और काफी संख्या में बकरियां अभी बच्चा देने वाली हैं।हाल में ही जन्में बकरियों के दुधमुंहे बच्चे अभी घास नहीं खा रहे हैं। मां के दूध के भरोसे हैं। देशी बकरियों की दूध देने की क्षमता भी अत्यंत सीमित हैं लेकिन डेंगू के चलते बकरी के दूध की मांग में आया उछाल बकरी पालकों के सामने नयी चुनौती बन गया है। ग्रामीण इलाकों में अगर कोई बकरी का दूध मांगने आ जाता है तो लोगों को इनकार करना बड़ा मुश्किल होता है। विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी की वंशराजी पाल कहती हैं कि वह बकरी का दूध लोगों को देकर बकरी के बच्चों को चम्मच से तथा अन्य विधियों से गाय का दूध पिलाती हैं। जिसके लिए उनके परिवार को बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है गाय का दूध कुछ बकरी के बच्चों को ठीक से पचता भी नहीं है लेकिन समय की मजबूरी ही ऐसी है कि उन्हें ऐसा करना पड़ रहा है।

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