डीएम साहब मेरी मासूम बेटी की डाक्टर ने ले ली जान !
शनिवार को सिद्धार्थ कुमार साहू ने डीएम मनीष कुमार वर्मा से मिलकर बताया कि मैंने अपनी इकलौती बेटी वंशिका साहू (12) को दिनांक 19 अक्टूबर को हल्के बुखार व पेट दर्द होने के कारण दिनांक 20 तारीख को नगर के पॉलिटेक्निक रोड स्थित ओम साई बाल चिकित्सालय में डॉक्टर अभिषेक मिश्रा को दिखाया | बेटी को देख उन्होंने मुझे आश्वासन देते हुए 5 दिन की दवा दिया लेकिन 1 दिन की दवा खाने के बाद 20 तारीख की रात मेरी बिटिया के पेट में दर्द हद से ज्यादा बढ़ गया जिसके चलते मैंने अपनी बिटिया को अगले दिन 21 अक्टूबर को दोबारा अभिषेक मिश्रा को दिखाया जिस पर उन्होंने मेरी पुत्री की कई तरह की जांच कराई और उसे भर्ती कर लिया । दिनांक 21 को सारा दिन उन्होंने मेरी बिटिया का इलाज करते हुए उसे कुछ इंजेक्शन दिए वह जरूरी दवाइयां दिया लेकिन बच्ची की स्थिति और बिगड़ती जा रही थी । स्थिति को देखते हुए मैंने डॉक्टर अभिषेक मिश्रा से 22 तारीख को आग्रह करते हुए कहा कि अगर वह केस को नहीं संभाल सकते तो वो डिस्चार्ज शीट देते हुए हमारी बिटिया को वाराणसी या प्रयागराज रिफर कर दे परंतु डॉ अभिषेक मिश्रा की लापरवाही कहा जाए या उनके धन उगाही की नियत जिसकी वजह से उन्होंने हमें दोबारा झूठा आश्वासन देते हुए कहा कि पेशेंट को कोई दिक्कत नहीं होगी दवा देने पर ऐसे सिम्पसटम देखे जाते हैं वगैरा वगैरा बोल कर संतुष्ट किया और डिस्चार्ज नहीं किया जिसके बाद 23/10/2022 की सुबह तक मेरी बिटिया का हार्ड इंजेक्शन की वजह से 4 दिनों से बिना खाए पिए लगातार ट्रीटमेंट की वजह से प्लेटलेट 21000 हो गया । जिस पर डॉ अभिषेक मिश्रा ने हमें दो यूनिट प्लेटलेट्स का इंतजाम करने को बोला | दिनांक 23 अक्टूबर को सुबह मेरी बेटी दर्द से तड़प रही थी बोल रही थी कि उसका पैर हद से ज्यादा दर्द कर रहा है और लगातार नहाने की जिद करते हुए हॉस्पिटल बदलने को कह रही थी । 12 वर्षीय नन्ही सी जान को हार्ड इंजेक्शन लगाए जाने की वजह से उसका शरीर भीतर से जल रहा था। दिनांक 23/10/2022 की सुबह जब डॉक्टर अभिषेक मिश्रा राउंड पर आये तो मैंने उनसे बेटी का पूरा हाल बताते हुए पुनः आग्रह किया कि वह उसे डिस्चार्ज कर कही और रिफर कर दें क्योंकि बेटी की तकलीफ बढ़ती है जा रही है परन्तु डॉ अभिषेक मिश्रा अपने सैकड़ों मरीज को देखने की जल्दी में दोबारा झूठा विश्वास दिलासा देते हुए आश्वासन दिया कि हम फिक्र ना करें लड़की बिल्कुल ठीक हो जाएगी और फिर कुछ इंजेक्शन लगवा कर चले गए | मेरी बेटी के दर्द के चलते अस्पताल में तड़प रही थी और परिवार के अन्य सदस्य प्लेटलेट के इन्तेजाम में सारा दिन भटक रहे थे। किसी तरह शाम 7:00 बजे 1 यूनिट प्लेटलेट्स का इन्तेजाम हुआ और लाकर हॉस्पिटल को दिया गया तब तक मेरी बेटी दर्द और जलन से पागल हो चुकी थी जिसके बाद डॉ ज़बरदस्ती बुलाने पर आते हैं और दिनांक 23/10/2022 को 8.00 - 9.00 बजे के बीच प्लेटलेट्स चढ़वाते हैं जिसके बाद दर्द और भी ज्यादा बढ़ गया और बिटिया की स्थिति काबू करने के चक्कर में उन्होंने उसे कोई फिर इंजेक्शन दिया जिससे कुछ ही देर बाद मेरी फूल से बिटिया के मुंह से झाग आने लगा और वह बोलने लगी पापा मेरे पैर पत्थर हो रहा है यह बात सुनते ही डॉ अभिषेक मिश्रा ने अपने कर्मचारीयो को तत्काल निर्देश दिया कि वह लड़की को इमरजेंसी रूम में शिफ्ट करे | जहां शिफ्ट करने के बाद मेरी बिटिया को डॉक्टर अभिषेक मिश्रा ने ऑक्सीजन पर रखा और चेकअप शुरू किया ओक्सीमीटर लगाने पर जब उन्हें पल्स नहीं मिल रही थी तो उन्होंने अपने स्टाफ को निर्देश दिया कि तुरंत इस बच्ची को एम्बुलेंस में डालो और बनारस ले जाओ । आनन-फानन में हम अपनी बिटिया को एंबुलेंस में लेकर तुरंत निकले क्योंकि वह उस वक्त चिल्ला रही थी और मौत से लड़ रही थी इस उम्मीद से हम तुरंत वहां से निकले और उसे डॉक्टर अभिषेक मिश्रा ने न ही डिस्चार्ज लेटर दिया नहीं रेफर लैटर दिया बस ऐसे ही जाने दिया। मैं और मेरी पत्नी आनन-फानन में अपनी बच्ची को लेकर बनारस गैलेक्सी हॉस्पिटल पहुंचे वहां पहुंचने के उपरांत गैलेक्सी हॉस्पिटल के डॉक्टर ने बच्ची की जांच की और कहा कि बच्ची में कुछ नहीं बचा है आप वापस लेते जाएं। डॉ अभिषेक मिश्रा रूहठठा के गलत ट्रीटमेंट व इलाज सही तरीके से न करने की वजह से मेरी बच्ची वंशिका साहू की मृत्यु हो गई ।
Bina jacha padatal k kishe pe aaropa lagana Shahi nahi hai. Kripaya mamale ki poori jacha karaye jaaye.
जवाब देंहटाएंजिसका जाता है ना उसी को एहसास होता है की तकलीफ क्या चीज़ होती हैं
हटाएंसभी डॉक्टर धधेबाज हो चुके हैं लब टेस्ट में भी manupulation कराते है
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