दादा बाबा साइकिल के पीछे कैरियर पर दो झाड़ू दबाये और आगे हैण्डिल में थाली कड़ाही झोले में भरे, ऐसा नजारा दिखा धनतेरस की शाम
खरीदारी के लिए चाहे उधार ही ली हैं लेकिन आज झाड़ू, बरतन,गहना खरीदना ही है। नवयुवक अपने दोस्तों के साथ गाड़ी की एजेंसी पर कलर च्वाइस कर रहे हैं।नई गाड़ियां एजेंसी से निकल रही तो फूल माला बेचने वाले माली भी आज माला माल हैं। सब्जी की दुकानों पर पहाड़ी सूरन के साथ- साथ देशी सूरन भी उपस्थित है।लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियों छोटे बड़े आकार में लगी हुई हैं। जिनके बच्चे बाजार में साथ गये हैं उन्हें पटाखे की दुकान वाला अलग -अलग पटाखों की आवाज और उन्हें जलाने का ढंग समझा रहे हैं। रंगोली की दुकान पर बच्चे अलग अलग रंगों को खरीद रहे हैं।जनरल स्टोर पर लम्बी कतारें लगी हैं।यह हालात ग्रामीण इलाकों की हर छोटी बड़ी बाजार चाहे मछलीशहर, ,जमुहर, तिलौरा, बंधवा,गोधना, मोलनापुर तथा जंघई हो कम ज्यादा संख्या में छोटी बड़ी दुकाने हर जगह सजी हैं और ग्राहकों से घिरी हैं। विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी के बंधवा बाजार में बरतन का व्यापार करने वाले किशन जायसवाल सुबह से ही अपनी बरतन की दुकान को सजाते समय चेहरे से पसीना पोछते हुए कहते हैं कि ग्राहकों का आना दोपहर से ही शुरू हो जायेगा इस कारण वह सुबह से ही दुकान सजाने में जुटे हैं। दूध से दिन रात खोया बनाने में जुटे हलवाई ही वेटिंग लिस्ट में हैं उन्हें भी सोमवार की सुबह का इन्तजार है।