आखिर क्यों नहीं मिल सका तिवारीपुरवा को चकमार्ग?

 मड़ियाहूं, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र अन्तर्गत ग्राम कुरनी तहसील मछलीशहर के लोग आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से आज भी वंचित हैं। भारत व राज्य सरकार द्वारा ग्रामीणांचलों के लोगों को लाभान्वित करने के अनेकों सुविधा योजनाएं बनायी गयीं परंतु आज भी (तिवारीपुरवा) कुरनी के लोगों को अपने घर तक आने-जाने का कोई भी चकमार्ग, खड़ंजा अथवा चकरोड नहीं मिला जो बहुत बड़ी विडम्बना से कम नहीं है। 

ग्रामीणों ने जिलाधिकारी सहित अन्य अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुये कहा कि इस ग्राम पंचायत के विकास हेतु तीन प्रमुख लोग नियुक्त हैं। ग्राम प्रधान, राजस्व लेखपाल और कोटेदार लेकिन संयोग यह है कि तीनों सरोज हैं जो केवल अपनी जेब भरने में मशगूल हैं। उन्हें जनता के दुख-दर्द से कोई सरोकार नहीं है। लोगों की मानें तो इस पुरवा में आज भी लोग खेतों के मेड़ से आते-जाते हैं जबकि उस गांव के उत्तरी एवं दक्षिणी तरफ से दो चकरोड मय खड़ंजा बनाये गये हैं लेकिन वह व्यक्ति विशेष के लिये हैं। ऐसा देखने से प्रदर्शित है। लोगों के अनुसार गांव के उत्तर व दक्षिण में बने चकरोड केवल कुछेक परिवार के लिये बने हैं। उक्त गांव में लेखपाल द्वारा जो भी कार्य हुआ, वह व्यक्ति विशेष के लिये हुआ है। उपजिलाधिकारी मछलीशहर एवं जिलाधिकारी जौनपुर का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुये ग्रामीणों ने कहा कि सरकार द्वारा सरकारी नाली एवं घूर के लिये आवंटित सरकारी जमीन को तोड़कर दबंगों ने अपने खेतों में मिला लिया गया है जिससे लोग अपने खेतों में ठीक ढंग से सिंचाई भी नहीं कर पाते हैं। इतना ही नहीं, घूर की जमीन का भी कहीं कुछ अता-पता नहीं है। यदि सरकारी पैमाइश करा दिया जाय तो निश्चित रूप से सभी ग्रामवासी मार्ग से लाभान्वित हो सकेंगे परंतु कहीं न कहीं से सरकारी विभाग, राजस्व कर्मचारी एवं ग्राम प्रधान की मिलीभगत से आज उक्त गांव अपने मूल सुविधाओं से वंचित है, क्योंकि दक्षिणी छोर से बना चकरोड एक परिवार के घर के सामने आकर खत्म हो जाता है। वहीं उत्तरी छोर से बना चकरोड भी एक परिवार के घर पर आकर रुक जाता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह सरकार की नीतियों के विरुद्ध यह कार्य किया गया है। इसमें सरकार के राजस्व की बड़ी हानि होने के पश्चात भी ग्रामीणों को मार्ग मुहैया नहीं हो सका है। निश्चित तौर पर यह जांच का विषय है। पूर्व प्रधान द्वारा चकरोड निर्माण कराया गया लेकिन वह मात्र एक व्यक्ति के लिये है। निवर्तमान प्रधान द्वारा उत्तरी छोर से चकरोड भी व्यक्ति विशेष के लिये बनाया गया जबकि उस गांव में लगभग 60 से 70 परिवार रहते हैं जिनको सड़क तक पहुंचने के लिये बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। विद्यालय आने-जाने वाले बच्चों को भी उसी खेतों की मेड़ों पर से चलना पड़ता है। उपरोक्त समस्याओं को देखते हुये क्या राजस्व विभाग की जिम्मेदारी नहीं है कि ग्रामीणों को मार्ग मुहैया हो? क्या सरकारी जमीनों का लेखा-जोखा नहीं रखना चाहिये? क्या प्रधान की जिम्मदारी नहीं कि ग्राम पंचायत की समस्या को समाप्त करायें? क्या राजस्व विभाग की जिम्मेदारी नहीं कि ग्रामवासियों के लिये आवंटित धन का उपयोग विकास कार्यों में हुआ या नहीं? यदि है तो कुरनी ग्रामसभा के तिवारी का पुरवा मूलभूत सुविधाओं से वंचित क्यों?

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