उमाकांत यादव की राजनीतिक जमीनी उखाड़ी थी ललई ने, जानिए सजायाफ्ता नेता का राजनीति का सफर और क्राईम हिस्ट्री

जौनपुर। जीआरपी के सिपाही की हत्या के अरोप में उम्र कैद की सजा पाये पूर्व बाहुबली सांसद उमाकांत यादव का जरायम की दुनियां से गहरा रिश्ता रहा है। करीब दो दशक तक शाहगंज आजमगढ़ का फुलपुर इलाका उमाकांत रमाकांत के नाम से थर्राता था। आज भी कई लोग इन दोनो भाईयों का े नाम सुनकर कांप उठते है। जीआरपी काण्ड ने तो पूरे यूपी में सनसनी फैला दिया था। इसी दबंगई चलते दोनो भाई राजनीति में कदम रखा तो यहां सिक्का चल गया। उमाकांत खुटहन विधानसभा सीट पर लगातार तीन बार जीत दर्ज किया। 

2002 विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी शैलेन्द्र यादव ललई ने इस सीट पर ऐसे झण्डा गाड़ा की उमाकांत का डेर तम्बू उखड़ गया। हालांकि 2004 लोकसभा चुनाव में उमाकांत पुनः हाथी पर सवार होकर मछलीशहर विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्होने बीजेपी के कद्दावर नेता केशरीनाथ त्रिपाठी को करारी शिकस्त देकर सांसद बन गये। 

2007 विधानसभा चुनाव में उमाकांत ने अपने बेटे दिनेशकांत यादव को खुटहन विधानसभा से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ाया इस चुनाव मैदान में सपा प्रत्याशी ललई यादव एक बार फिर बाप बेटे को पटखनी देते हुए पुनः विधायक बन गये।  हलांकि इस बार बसपा की सरकार बनी थी। 

अपनी सरकार बनने के बाद उमाकांत एक बार फिर से बेकाबू हो गये उन्होने आजमगढ़ के फुलपुर इलाके में एक मुस्लिम समुदाय के मकान पर बुलडोजर चलवाकर कब्जा कर लिया। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने उमाकांत को अपने आवास पर बुलाकर पुलिस के हवाले कर दिया। यही से उमाकांत का राजनीतिक जमीन खिसकी तो आज तक वे कभी सांसद विधायक बनना तो दूर किसी दल के सदस्य नही बन पाये। 

 उमाकांत यादव का क्राईम हिस्ट्री 

उमाकांत यादव पर पहली बार 1977 में मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद आजमगढ़, लखनऊ और जौनपुर में 36 आपराधिक मामले दर्ज हुए। इसमें धोखाधड़ी, लूट, हत्या, लोक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे अन्य कई गंभीर मामले शामिल हैं। आजमगढ़ जिले के दीदारगंज थाना क्षेत्र के सरावां गांव निवासी पूर्व सांसद उमाकांत यादव के खिलाफ जौनपुर से तीन वारंट है।

उमाकांत का राजनीतिक इतिहास
 बाहुबली नेता उमाकांत यादव पहली बार 1991 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर खुटहन से विधायक चुने गए। इसके बाद 1993 के चुनाव में बसपा व सपा में गठबंधन हुआ तो बसपा ने फिर उमाकांत को खुटहन से अपना उम्मीदवार बनाया। ये चुनाव भी उमाकांत जीत गए। 1996 में विधानसभा चुनाव आया तो उमाकांत ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया और फिर जीत ने उनके कदम चूमे। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने उमाकांत को मछलीशहर से अपना प्रत्याशी घोषित किया। ये चुनाव भी उमाकांत जेल में रहते हुए भी जीत लिया। साल 2008 के एक आपराधिक मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने अपने आवास से ही सांसद उमाकांत को गिरफ्तार करवा दिया था।

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