डा. क्षेम प्रेम की प्रतिमूर्ति थे : बशिष्ठ नारायण
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक ओमप्रकाश दूबे ने बताया कि डा. क्षेम एंव विकलांग केन्द्र के संचालक डा. पीपी दूबे का वैचारिक रिश्ता अत्यंत प्रगाढ़ था। कार्यक्रम के द्वितीय चरण में कवि सम्मेलन का शुभारंभ कवयित्री सुदामा पांडेय सौरभ ने हमारे घर हे मइया धीरे से अइह वाणी वंदना से की। कवि अजय सोनी ने-राष्ट्र की एकता भंग ना कीजिए। अपने मां-बाप को तंग ना कीजिए। जो जहर बो रहे धर्म के नाम पर ऐसे लोगों का संग तुम ना कीजिए।
पंक्तियों के माध्यम से एकता का संदेश दिया। कवि शशांक देव ने-कांटो को भी जो महकता है, उस रूप में को पाटल कहते है जैसे गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। ओज के कवि डा. रणजीत सिंह ने- न राजा याद आता है न रानी याद आती है। हमें बस राष्ट्रभक्तों की कहानी याद आती है।। जैसी कविताओं से उर्जा का संचार किया। संचालक सभाजीत द्विवेदी प्रखर ने हास्य व्यंग की कविताओं से श्रोताओं को ठहाके लगाने पर बाध्य कर दिया। आगंतुकों का अभिवादन डा. पीपी दूबे, अध्यक्षता पं. रामकृष्ण त्रिपाठी तथा धन्यवाद ज्ञापन रामेश्वर त्रिपाठी ने किया। उक्त अवसर पर राजेन्द्र सिंह, राजू गुप्ता, दयाशंकर सिंह, महेन्द्रनाथ राय, आदि रहे।