अंग्रेजों से लड़ते हुए सूली पर चढ़ गए थे खुदीराम बोस
गोष्ठी की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष पंकज श्रीवास्तव हैप्पी ने किया संचालन महामंत्री सुलभ श्रीवास्तव ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में संगत पंगत के संरक्षक प्रदीप श्रीवास्तव पप्पू पूर्व ऑडिट ऑफिसर ने कहा कि वो उम्र जब एक युवा अपने करियर और आने वाले भविष्य को लेकर परेशान रहता है, उस उम्र में एक ऐसा क्रांतिकारी निकला जो देश की आजादी के लिये अंग्रेजों से लड़ते हुए सूली पर चढ़ गया. महज 18 साल की उम्र में देश के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले खुदीराम बोस को 1908 में 11 अगस्त को मुजफ्फरपुर के कारगार में अंग्रेजों ने फांसी दे दिया था।
प्रदेश सहसंयोजक राजेश श्रीवास्तव बच्चा भइया ने कहा कि खुदीराम बोस ने फांसी से पहले उन्होंने ऊंची आवाज में ब्रिटिश साम्राज्यवाद मुर्दाबाद का नारा लगाया और हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया। अध्यक्ष संगत पंगत ने कहा कि आज के नवजवानों को उनके हिम्मत और जजबे को अपना आदर्श बनाना चाहिये। वरिष्ठ उपाध्यक्ष विश्व प्रकाश श्रीवास्तव दीपक पत्रकार व उपाध्यक्ष अंकित श्रीवास्तव पत्रकार ने कहा कि संगत पंगत देश के लिए शहीद हुए लोगो को बराबर याद करती हैं और करती रहेगी।
उपाध्यक्ष शरद श्रीवास्तव व आतिश श्रीवास्तव ने कहा कि कायस्थ समाज के अनेक कुलगौरव ने हमेशा देशहित के लिए कार्य किया है और करता रहेगा। गोष्ठी में उपाध्यक्ष अनुपम श्रीवास्तव अमित श्रीवास्तव औरही, अनिल श्रीवास्तव डॉ प्रतिमा श्रीवास्तव प्रियंका श्रीवास्तव आतिश श्रीवास्तव पंकज श्रीवास्तव एडवोकेट विजय श्रीवास्तव अनीश श्रीवास्तव अर्पित श्रीवास्तव प्रदीप श्रीवास्तव आदि लोग मौजूद रहे।