बामी - भटेवरा के बीच बसुही नदी पर पुल बनने का मामला पहुंचा मुख्यमंत्री दरबार
बामी भटेवरा के बीच सड़क तो पिछले दशक में ही बन गई थी लेकिन नदी पार करने के लिए करीब चार फीट चौड़ा पुल है जिसे स्वामी घनश्यामान्द सरस्वती ( नागा बाबा) ने जनसहयोग से बनवाया था।उनकी मृत्यु के पश्चात से यह पुल यथा स्थिति में पड़ा हुआ है।लोग पैदल और बाइक से इसे पार करते हैं किन्तु ऊंचाई कम होने के कारण यह बरसात में अक्सर डूब जाता है जिस कारण कभी- कभी महीनों तक इन दोनों गांवों का धरातलीय सम्पर्क एक दूसरे से टूट जाता है। इस पुल से स्कूली बच्चों का आना जाना लगा रहता है जिस कारण अनहोनी का डर सदैव बना रहता है।कई बार लोग भरी नदी में बाइक सहित गिर गये हैं किन्तु गनीमत इस बात की रही कि लोगों को हल्की फुल्की चोट ही आई है और कोई अनहोनी नहीं घटित हुई।
आपको बताते चलें कि इन दोनों गांवों सहित दर्जनों गांवों के लोगों को बसुही नदी के पार करने के लिए 6 किलोमीटर दूर बंधवा बाजार जाना पड़ता है। नदी पर दूसरा पुल सजई कला एवं ऊंचडीह गांव के बीच है किन्तु दुर्भाग्य यह है कि सजईकला और बामी के बीच की दूरी मात्र 2.5 किलोमीटर है और इस रास्ते में पड़ने वाले नाले पर पुल तो है किन्तु आने जाने के लिए मात्र एक पगडंडी है। मतलब जहां पुल है वहां सड़क नहीं और जहां सडक है वहां पुल नहीं।बामी और सजईकला के बीच सम्पर्क मार्ग न होने का प्रमुख कारण बामी ग्राम पंचायत मछलीशहर ब्लाक, मछलीशहर विधानसभा और मछलीशहर संसदीय क्षेत्र में आता है जबकि सजईकला ग्राम पंचायत मुंगराबादशाहपुर ब्लाक, मुंगराबादशाहपुर विधानसभा एवं जौनपुर संसदीय क्षेत्र में आता है। जिस कारण इन दोनों गांवों के आपस में पास -पास होने के बावजूद आजादी के 75 वर्षों बाद भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा ध्यान न दिये के कारण सम्पर्क मार्ग से नहीं जुड़ सके हैं। इस सम्बन्ध में ग्राम पंचायत बामी की निवासी भारतीय जनता पार्टी की महिला मोर्चा मीरगंज की मण्डल अध्यक्ष अनीता पाल कहती हैं कि बामी भटेवरा के बीच पुल बन जाने से बामी,भटेवरा, चितांव,कठार, ऊंचडीह,टिकरा, सहनी, अमोध,महापुर, भुसौला , राजापुर सहित दर्जनों गांवों के लोगों एवं स्कूली बच्चों को सहूलियत होगी।
बहुत जरूरी है
जवाब देंहटाएंबहुत कठिनाई होती थी पूल को पार करने में
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