नियमित करें ध्यान व प्राणायामः अचल हरीमूर्ति

 जौनपुर। योग हमारी प्राचीनतम जीवन शैली की दिव्यता से परिपूर्ण कला कौशल है। यह उच्चतम कोटि की चिकित्सा पद्धति के साथ उच्चतम कोटि की साधना पद्धति भी है। बच्चों को बचपन से ही योग की संस्कारशाला में संस्कारित करके उनके मनोदैहिक स्वास्थ्य को सर्वोत्तम बनाया जा सकता है। 

उक्त बातें कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में बालिकाओं के लिये चल रहे साप्ताहिक योग प्रशिक्षण शिविर में पतंजलि योग समिति के प्रान्तीय सह प्रभारी अचल हरीमूर्ति ने कही। उन्होंने बच्चों को उनकी अवस्था के अनुसार सरल और सूक्ष्म प्रकार के आसन और व्यायामों का अभ्यास कराते हुये योगिंग, जागिंग, सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, वृक्षासन, त्रिकोणासन, वीरभद्र आसनों सहित मकरासन और भुजंगासनों का क्रियात्मक अभ्यास कराते हुए उनसे होने वाले लाभों को बताया। इस अवसर पर विद्यालय की वार्डेन शशि श्रीवास्तव, सीता सिंह, रीना यादव, रेखा, विनय यादव, अश्विनी सहित अन्य लोग उपस्थित रहे। 

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