मुंबई के सिविल अस्पताल अग्निकांड का मंजर दिख सकता है जौनपुर के नर्सिंग होमो में
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जौनपुर।मुंबई के अहमदनगर जिले के सिविल अस्पताल के आइसीयू में लगी आग के बाद अब यहां भी अस्पतालों में सुरक्षा को लेकर पड़ताल शुरू कर दी गई है। फायर विभाग ऐसे अस्पताल अथवा नर्सिंग होमों के खिलाफ सीएमओ को पत्र लिखेगा जो मानकों को पूरा नहीं करते।
जिले में अधिकतर अस्पताल व नर्सिंग होम फायर मानकों के बिना ही चल रहे हैं। जिले में तकरीबन चार सौ अस्पताल व नर्सिंग होम हैं, लेकिन फायर विभाग के पास सूची महज 197 की है। उपलब्ध लिस्ट के आधार पर महज एक को ही फायर विभाग से आनलाइन एनओसी दी गई है। ऐसे में अस्पतालों में आग लगने के दौरान न सिर्फ तबाही का मंजर दिखेगा बल्कि हालात भी बदतर होंगे। जिला व महिला अस्पताल में आग से बचाव को लेकर संसाधन तो हैं, लेकिन जरूरत के समय इनके उपयोग को लेकर प्रशिक्षित कर्मियों का अभाव है।
नगर समेत तहसील व कस्बों में अस्पताल व नर्सिंग होम की भरमार है। इसमें तमाम ऐसे हैं, जिनका पंजीकरण ही नहीं हैं। साथ ही तमाम ऐसे अस्पताल व नर्सिंग होम संचालक भी हैं जो फायर मानकों को पूरा नहीं करते। मसलन, मरीजों के इलाज के नाम पर मोटी रकम भले वसूल की जा रही हो, लेकिन उनके जान की परवाह नहीं की जा रही है। किसी घटना के बाद सुरक्षा को लेकर कुछ दिनों तक हल्ला तो मचता है, लेकिन कुछ ही दिनों हालात पहले जैसे हो जाते हैं।
बदलापुर नगर में एक दर्जन से अधिक प्राइवेट अस्पताल चल रहे हैं, जिसमें एक-दो को छोड़ दिया जाय तो बाकी मानक के अनुरूप नहीं है। मछलीशहर क्षेत्र में लगभग 15 की संख्या में प्राइवेट अस्पताल चल रहे हैं। कुछ तो गलियों में संचालित किए जा रहे हैं, जहां फायर ब्रिगेड तो छोड़िए एंबुलेंस भी नहीं पहुंच सकती। शाहगंज नगर में मानकों को ताक पर रख एक दर्जन से अधिक प्राइवेट अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं। मड़ियाहूं में भी तकरीबन यही हाल है। केराकत में कुल 10 प्राइवेट अस्पताल चल रहे हैं, जिनमें अधिकतर मानकों को पूरा नहीं करते।
जिला व महिला अस्पताल में आग से बचाव के संसाधन उपलब्ध हैं, लेकिन प्रशिक्षित कर्मियों का अभाव है। कोई भी निजी अस्पताल आग से बचाव को लेकर मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं। नोटिस देने के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। जल्द ही ऐसे लोगों पर कार्रवाई के लिए सीएमओ को पत्र लिया जाएगा।