छापेमारी में सरकारी दूकान से पकड़ी गई लाखो रूपये की नकली शराब , आबकारी विभाग कटघरे में
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जौनपुर। सीओ और आबकारी विभाग की संयुक्त छापेमारी में मड़ियाहूं थाना क्षेत्र के चोरारी बाजार की अंग्रेजी शराब की दूकान से पांच लाख की कई ब्रांड की नकली अंग्रेजी शराब, खाली बोतल,रैपर और ढक्कन का जखीरा पकड़ा गया। यह जानकारी जिला आबकारी अधिकारी घनश्याम मिश्रा ने प्रेस कांफ्रेंस में दी है । इस खुलासे से बाजार सहित अन्य शराब व्यवसायियों में हड़कंप मच गया है ,
दिलचस्प बात यह है कि यह गोरख धंधा थाने से मात्र 6 से 7 किमी दूर चोरारी बाजार में चल रहा था।
शराब माफियाओं द्वारा इतने बड़े पैमाने पर नकली शराब का गोरखधंधा सरकारी शराब की दूकान पर फलफूल रहा था और इसकी भनक स्थानीय पुलिस और आबकारी विभाग को नही चल यह यक्ष प्रश्न पुलिस और आबकारी विभागों के लिए खड़ा करता है।
देशी और विदेशी शराब की दुकानों पर समय समय पर आबकारी विभाग पहुंचकर स्टॉक जांच,ब्रांड,तथा क्वालटी आदि का निरीक्षण करता रहता है।यदि आबकारी विभाग का यह दावा सत्य मान लिया जाय तब तो अंगुली सीधे सीधे आबकारी विभाग के जिम्मेदारों पर उठती है कि उनकी इतनी सतर्कता के बावजूद शराब माफिया उनकी आंखों में धूल झोंकते हुए ,आबकारी विभाग की सतर्कता को धता बताते रहे।क्योंकि नकली शराब का यह गोरखधंधा हफ्ते,दस दिन में तो इतने बड़े पैमाने पर फैला नही जो इतनी भारी मात्रा में अवैध अंग्रेजी शराब का जखीरा पकड़ा गया हो।स्थानीय पुलिस भी इस कामयाबी पर अपनी पीठ न थपथपाए ।आम जनमानस की अंगुली उसकी तरफ भी बहुत तेजी से और सीधी उठ रही हैं कि इतने दिन से उसके कार्यक्षेत्र में यह धंधा फलता फूलता रहा और स्थानीय पुलिस को भनक भी न लगी।ऐसा कैसे हो सकता है?फिर तो यही माना जायेगा कि हल्का सिपाही,दरोगा और अन्य जिम्मेदार उनके क्षेत्र में क्या अवैध हो रहा है इसकी जानकारी ही नही रखते फिर आमजनता की सुरक्षा कैसे कर पायेंगे।इस नकली शराब का असर सीधे सीधे क्षेत्र और सर्किल के आसपास के अन्य थानाक्षेत्र के शराब के शौकीनों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है।हाल ही के कुछ दिनों में जनपद से सटे प्रतापगढ़ ,आजमगढ़ सहित कई अन्य जनपदों में नकली शराब के सेवन से कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।कइयों के आंख की रोशनी चली गयी।कितनी महिलाएं विधवा हो गयी।कितने मासूमों के सिर से पिता का साया उठ गया।बावजूद इसके जौनपुर का आबकारी विभाग और पुलिस प्रशासन सबक नही ले पाया ।शराब माफिया आबकारी और पुलिस विभाग के नाक के नीचे आम जनमानस की जिंदगी से खेलते हुए लाखों करोड़ों में अपना नकली शराब का कारोबार करते रहे।मुखबिर की सूचना पर छापेमारी होती है, उसमें भी आबकारी और पुलिस के हाथ इस धंधे से जुड़ा एक भी व्यक्ति मौके से नही पकड़ा जाता है। सभी पुलिस को देखते ही मौके से सबकुछ छोड़कर नौ दो ग्यारह हो जाते हैं। मौके से सिर्फ हजार दो हजार की नौकरी करने वाले सेल्समैन पकड़े जाते हैं जिन पर आबकारी अधिनियम के तहत मुकदमा पंजीकृत होता है। इसका मतलब तो यही निकाला जा सकता है कि पुलिस और आबकारी विभाग के मुखबीर से ज्यादा सक्रिय शराब माफियाओं के मुखबीर हैं ,जो समय रहते छापे से पहले ही उनतक छापेमारी की सूचना दे देते हैं और इस धंधे से जुड़े लोग आराम से मौके से खिसक लेते हैं और पुलिस तथा आबकारी विभाग का हत्थे सिर्फ शराब भरी बोतलें, कार्टून,रैपर ,बोतल और ढक्कन रूपी झुनझुना लगता है।जिसे मीडिया को दिखा दिखाकर दोनों विभाग अपनी अपनी पीठ थपथपा रहे हैं।