' सामना ' के सम्पादक को जौनपुरवासियो से तत्काल माफ़ी मांगनी चाहिए : संजय तिवारी
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मुम्बई :यूपी के जौनपुर ज़िले का लम्बा स्वर्णिम इतिहास रहा है।शर्की सल्तनत में जौनपुर उत्तर भारत की राधानी रहा जिसकी सीमाएं बंगाल से नेपाल तक फैली थीं।यह जिला इल्म-ओ-अदब का मरकज़ रहा है।इसे शीराज़-ए-हिन्द भी कहा गया।ऐसे ऐतिहासिक ज़िले को बलात्कार और हत्या जैसे अपराध से जोड़ना निंदनीय है।शिवसेना के मुखपत्र ' सामना ' के सम्पादक को तत्काल माफ़ी मांगनी चाहिए।यह बातें मुम्बई कांग्रेस लीगल सेल के महासचिव संजय तिवारी ने कही।
सामना अख़बार में छपे लेख में जौनपुर ज़िले पर आपत्तिजनक शब्द लिखने पर संजय तिवारी ने गहरी नाराज़गी जताई।
श्री तिवारी ने कहा कि जौनपुर की पहचान कभी भी अपराध के कारण नही हो सकती।जौनपुर हमेशा से शिक्षा का केंद्र और क्रांतिकारियों की धरती रही है।जौनपुर की ज़मीन पर पहले स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी राजा इदारत जहाँ ने 40 साथियों के साथ प्राणों की आहुति दी थी।जौनपुर शायरों और कवियों की धरती है।भूखा है बंगाल के लेखक मशहूर शायर वामिक जौनपुरी ने यहीं जन्म लिया।सज्जाद ज़हीर जैसे बड़े साहित्यकार ने इसी ज़िले के कला पुर गाँव मे जन्म लिया।
जिन्होंने प्रगतिशील लेखक संघ की बुनियाद डाली।जिसके सदस्य मुंशी प्रेमचंद, पण्डित नेहरू, फैज़ , मजाज़, साहिर और फ़िराक़ गोरखपुरी जैसे लोग रहे।
कांग्रेस नेता संजय तिवारी ने कहा कि जौनपुर ज़िले में माधोपट्टी जैसा गांव है जहाँ 40 से भी ज़्यादा आईएएस , आईपीएस अफ़सर हैं।यहां चौकिया माई का धाम है और विजेठुआ महावीर का मंदिर भी है जहां हनुमान जी ने कदम रखा था।ऐसे जौनपुर ज़िले को बदनाम करने की कोई भी कोशिश कामयाब नही होने दी जाएगी।