त्रेता युग का आरंभ अक्षय तृतीया के दिन हुआ
मछलीशहर निवासी ज्योतिष एवं तंत्र आचार्य डा शैलेश मोदनवाल के अनुसार जहां त्रेता युग का आरंभ अक्षय तृतीया के दिन हुआ था वही पौराणिक मान्यता है कि नर-नारायण, परशुराम और हयग्रीव ये भगवान के तीन अवतार भी इसी दिन हुए थे। इसलिए यह तिथि ईश्वर तिथि के नाम से भी जानी जाती है। डा मोदनवाल बताते हैं कि शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी का विशेष दिन होता है। इस दिन अक्षय तृतीया का संयोग बहुत ही शुभ फलदायी है। उक्त पर्व के दिन गंगा स्नान जप, तप, होम, स्वाध्याय, पितृ तर्पण और दान जो कुछ भी किया जाता है वह सब अक्षय फलदायी होता है। विष्णु धर्मसूत्र, मत्स्य, नारद तथा भविष्य आदि पुराणों में इस पर्व का बड़ा महत्व बताया गया है। आज के दिन विष्णु संग लक्ष्मी का पूजन करें। ईख से बने पदार्थ, दही, चावल, दूध से बने व्यंजन खरबूज, सत्तू और लड्डू का भोग लगाकर दान करने का विधान है। विष्णु भगवान को तुलसी मंजरी, तुलसी दल व जौ अर्पण करें। माता लक्ष्मी को कमल व सफेद पुष्प, दूध से बने मिष्ठान अर्पण करना चाहिए। पुरुष सूक्त व श्री सूक्त का पाठ करें व इन्हीं मंत्रों से जौ और खीर के द्वारा हवन भी करें। आज के दिन किये गये पूजा पाठ, जप, तप, होम व दान आदि से पाप संताप दूर होते हैं जीवन में आए कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा माता लक्ष्मी की कृपा से धन एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।