आसमान से गिरा खजूर पर अटका !
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जौनपुर। आसमान से गिरा खजूर पर अटका कहावत तो आप लोगों ने बखूबी सुनी होगी। यही कहावत एक गरीब बेसहारा युवक पर चरितार्थ हो रही है। पहले मां का साया सिर से उठा। ठीक पांच वर्ष बाद पिता का असामयिक निधन होने से यतीमी का बोझ सिर पर आ गया। पिता के आश्रितों की आजीविका चलाने के लिए युवक ने काफी जद्दोजहद करते हुए डाक विभाग से मुकदमा लड़ कर नियुक्ति का आदेश तो हासिल कर लिया यानी आसमान से तो गिरा पर ज्वाइनिंग के लिए विभाग के पास एक लाख रुपए की धनराशि बंधक रखने के लिए मानो वह खजूर के पेड़ पर आकर अटक गया। क्योंकि युवक का कहना है कि बंधक रखने के लिए उसके पास फूटी कौड़ी तक नहीं है।
गौरतलब हो कि थाना जफराबाद अंतर्गत मोहल्ला नासही निवासी सैयद फैजान आब्दी के पिता सैयद मोहम्मद जकी दीवानी कचहरी स्थित उपडाकघर में जीडीएस के पद पर कार्यरत थे। जिनकी सेवाकाल के दौरान दिनांक 16 मई 2011 में मृत्यु हो गई थी। पिता की मृत्युपरांत उनके ज्येष्ठ पुत्र सैयद फैजान आब्दी ने डाक अधीक्षक के समक्ष मृतक आश्रित कोटे के तहत नियुक्ति के लिए दिनांक 24 जनवरी 2012 में आवेदन दिया था। डाक विभाग ने मई 2013 में यह कहकर नियुक्ति देने से इंकार कर दिया कि आवेदक शादीशुदा है। इस बात से क्षुब्ध होकर पीड़ित को इंसाफ के लिए न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। पीड़ित ने 28 अक्टूबर 2014 को कोर्ट में वाद दाखिल किया। पांच साल चली न्यायिक प्रक्रिया के बाद कोर्ट ने डाक विभाग को फटकार लगाते हुए दिनांक 14अप्रैल 2019 को पीड़ित के पक्ष में फैसला सुनाकर नियुक्ति देने का आदेश पारित कर दिया। डाक विभाग ने कोर्ट आदेश का अनुपालन करने में दो वर्ष का समय बिताकर 18 फरवरी 2021 को नियुक्ति पत्र जारी कर दिया। 9 वर्ष बाद मिले नियुक्ति पत्र को देखकर पीड़ित को खुशी का ठिकाना नहीं रहा। नियुक्ति पत्र लेकर जब युवक ने डाक अधीक्षक से संपर्क किया तो वहां बताया गया कि ज्वाइनिंग के लिए एक लाख रुपए की एनएससी विभाग के पास बंधक के तौर पर जमा करनी होगी। यह सुनते ही मानो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। पीड़ित युवक का कहना है कि पत्नी के जेवरात बेचकर किसी तरह मुकदमा लड़कर नियुक्ति का केस तो जीत गया पर अब एक लाख रुपए बंधक रखने के लिए कहां से लाऊं। ये तो वैसे ही हुआ की आसमान से गिरा खजूर पर अटका। अब देखना है कि गरीब युवक की मदद को कौन आगे आता है। जिससे वह डाक विभाग में नियुक्ति पाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर सके।