मुश्किल बडा है वक्त ,खुदा बन गया है सख्त
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मुश्किल बडा है वक्त ,खुदा बन गया है सख्त ।
बस दिल मे जला आशादीप ,
हौसला तू रख। ।।
बह रही है नाव बीच मझधार ,
बिन माँझी के यूँ ही।
बन जा नारायण अब अन्तर्मन से,
उठा गोवर्धन को अब तू ही।
हे अर्जुन अब तो उठा गांडीव को,
छोड़ चमत्कार की कोई आस।
चीर तिमिर को धीरे-धीरे,
लाओ धरा पर कोई प्रकाश।।
ठूँठ बना जहरीले तरूओ को ,तोड़ निराशा के दरख्त।।
जला दिल मे आशादीप
हौसला तू रख ।।।
आँसुओं का थाह नही है,
और न ही खुशियाँ है साथ।
लेकर एक मुस्कान होंठ पर ,
थाम ले फिर जीवन का हाथ।।
जगा लिया जो जोश हृदय में,
देदेगा तू सबको मात ।
तोड़ दुःखों की काली रात,
होगा तब ही नवप्रभात ।
देगा कितने घाव हमे भी ,
समय ये भी बीतेगा कमबख्त ।।
बस जला आशादीप को ,
हौसला तू रख।।
बन अजेय इन हालातो मे,
तूने कब मानी है हार ।
चीर दिया है सीना गिरि का,
बंजर मे लाया है बहार।
आज जरा जाग रे बंदे,
थोडा़ सा पग रख संभल ।
बदला था जो कल को तूने,
तो फिर अपना आज बदल।।
खुशियों का जो स्वाद चखा था ,
थोडा खारा स्वाद भी चख ।।
बस दिल मे जला आशादीप ,
हौसला तू रख।।
सुमति श्रीवास्तव
जौनपुर