"करोना का सर्वाधिक प्रभाव शिक्षा में" : जेपी सिंह

जौनपुर । आश्चर्य की बात है कि सरकारों को  कई राज्यों में विधानसभा चुनावों में तथा कई राज्यों के पंचायती चुनावों में तथा उनकी बड़ी से बड़ी राजनीतिक रैलियों में , सम्मेलनों में, धार्मिक स्थानों आदि पर करोना का कोई प्रभाव दिखाई नहीं देता है। न तो प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री और न ही टेलीविजन न्यूज़, प्रेस मीडिया ,प्रिंट मीडिया आदि करोना के बढ़ते भयंकर प्रभाव से संक्रमित लोगों के पॉजिटिव होने या मरने की खबर दिखाते हैं। यहां तक की केंद्र सरकार की सोच में अदूरदर्शिता का आलम यह है कि कम रेलगाड़ियों तथा कम से कम बसों आदि को चलाने से भीड़ कम होगी। जब कि परिणाम ठीक इसके विपरीत देखने को मिल रहें हैं कि आवागमन तथा रोजमर्रा के जनता के आवश्यक कार्य हेतु आपाधापी में साधनों के कमी के नाते और भीड़ बढ़ जा रहे हैं जिसके नाते करो ना गाइडलाइन का बिल्कुल पालन नहीं हो पा रहा है और प्राइवेट  साधनों, सरकारी बसों तथा रेलगाड़ियों में ठूंस ठूंस कर लोग यात्रा करने के लिए मजबूर हैं। इसलिए सरकार को चाहिए कि सभी बसों को सरकारी व प्राइवेट तथा सभी रूट की गाड़ियों को चलाना शुरु कर देना चाहिए जिससे भीड़ कम से कम हो और सभी प्रकार के आवश्यक कार्य प्रतिदिन निपटाया जा सके। करोना के डर से लॉक डाउन करने की कोई आवश्यकता नहीं है। केवल कड़ाई व दवाई के साथ साथ पढ़ाई  की भी नितांत आवश्यकता है। सभी गार्जियन को विशेष चिंता बच्चों तथा युवाओं के शिक्षा को लेकर है।  सरकारें तत्काल स्कूल और कॉलेज बंद कर पठन-पाठन का सत्यानाश कर दे रहे हैं और वेबीनार व ऑनलाइन शिक्षण के भरोसे संपूर्ण शिक्षा पद्धति का सर्वनाश करने वाली यह प्रदेश और केंद्र की सरकार है जिसकी मंशा ही है की कम से कम लोग पढ़े लिखे और जानकार बने नहीं तो संवैधानिक अधिकारों की जानकारी होने से सरकारों से जवाब सवाल तथा हिसाब करने का खतरा होगा। फीस वसूलने के लिए केवल स्कूल खुले और फिर बिना पढ़ाई के एग्जाम लेना या बिना एग्जाम के सर्टिफिकेट बाँटना शिक्षा व ज्ञान के साथ बलात्कार जैसे है। 

डॉ जेपी सिंह, जिला सचिव ,बसपा जौनपुर।

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