तबाही के इस मंजर की जिम्मेदारी किसकी ?
अभी कुछ ही दिनों पहले देश मे ख़ुशी का माहौल था जनता जहाँ अपने सपनों को हकीकत मे बुनने मे फिर से व्यस्त थी वही राजनेता चुनावी रैलियों मे | कोरोना वायरस की पहली लहर धीमी पड़ने के पश्चात सभी ने बड़ी आजादी की साँस ली थी जहाँ कई लोगों की जमकर तारीफ भी की जा रही थी | जब विदेशों मे ऑक्सिजन की कमी की वजह से लोग मर रहे थे तो हमारे जिम्मेदार लोग सिर्फ उस देश की घटना मानकर शांत बैठे थे | कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने न केवल लोगों का आत्म विश्वास तोड़ा है बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत से लोगों को रूबरू कराया है | अब यह कहना अतिश्योंक्ति नही होगी की देश मे अब स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गयी है | कोरोना की दूसरी लहर हर दिन और ऊँची होती जा रही है | तबाही का यह मंजर इतना भयावह है की देश के कई शहरों मे एम्ब्युलेन्स और लाशों के अलावा कुछ दिख नहीं रहा है | हॉस्पिटल मे बेड की उपलब्धता के सरकारों के सारे दावों की पोल खुल गयी है | स्थिति कितनी गंभीर है इसी बात से अंदाजा लगाइए की माननीय दिल्ली हाईकोर्ट को यह कहना पड़ रहा है की "देश भगवान के भरोसे चल रहा है" | दुनियाँ भर मे एक दिन मे प्राप्त कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या मे हमने नया विश्व रिकॉर्ड बना दिया है सर्वाधिक एक दिन मे संक्रमित लोगो की संख्या 3.14 लाख से अधिक हमारे देश मे ही मिले है | अमेरिका के प्रतिष्ठित समाचार पत्र न्यूयार्क टाइम्स के अनुसार इससे पहले एक दिन मे सबसे अधिक केस 3 लाख अमेरिका मे जनवरी के दूसरे हफ्ते मे मिले थे | विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अकड़ों के अनुसार पिछले एक हफ्ते मे दुनिया भर मे दर्ज कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या मे 28 प्रतिशत संक्रमितों की संख्या भारत मे रही है | पिछले एक सप्ताह मे कोरोना की चिंता जनक स्थिति को देखते हुये ब्रिटेन ने देश को रेड लिस्ट ज़ोन मे डाल रखा है वही आस्ट्रेलिया ने भी हाई रिस्क कंट्री मे देश को डाल दिया है | अमेरिका समेत कई देशों ने भारत मे यात्रा न करने को लेकर अपने नागरिकों को सलाह जारी किया है |
जब भी आज का इतिहास लिखा जाएगा तो लोगों की संवेदनहीनता और इस आपदा मे भी पैसे बनाने की बड़ी लालच को जरूर लिखा जाएगा जहाँ, ऑक्सिजन की कालाबाजारी, दवाओं की कालाबाजारी, स्वास्थ्य सेवाओं/वस्तुयों की कालाबाजारी, अस्पताल मे भर्ती करने को लेकर कालाबाजारी, टेस्ट करने को लेकर कालाबाजारी अपने उच्चतम स्तर पर दिख रही है | तबाही का मंजर यह है की दिग्गज भी हाथ जोड़कर रोते नजर आ रहें है | जन प्रतिनिधि समाज से गायब हो चुके है उन्हे जनता के दर्द से कुछ लेना देना नहीं रहा है जिम्मेदार अधिकारियों के न फोन उठ रहें है और न ही आम जन की समस्या का समाधान हो रहा है | ऐसा पहली बार हुआ है की लोगों को मरने के बाद भी घंटो अंतिमक्रिया के लिए इंतेजार करना पड़ रहा है और वहाँ भी घुसखोरी खुले तौर पर चल रही है वही जलाने के लिए लकड़ियों के दामों मे भी कई जगह मनमानी वसूली लोगों से हो रही है | सरकारी आकड़ों से कई गुना अधिक लोगों की मृत्यु हो रही है | सरकार आकड़ों की छिपाने मे व्यस्त है | फायनेन्सियल टाइम्स की गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और बिहार के सात जिलों की एक रिपोर्ट के अनुसार वहाँ पिछले दिनों 1833 मौतें हुई है जबकि सरकारी अकड़ों मे मात्र 228 लोगों के मरने की जानकारी सार्वजनिक की गयी है | सरकारी अकड़ों के अनुसार भारत मे पिछले 24 घंटो मे 2100 से अधिक लोगो की मौत हुई अब आप वास्तविक मौत के आकड़ों का आकलन स्वयं कर सकते है | यदि अब भी इन बातों पर विश्वास न हो तो नजदीकी शमशान गृह की एक झलक जरूर देखे |
जिस राज्य की सत्ताधारी पार्टी मीडिया मे जितना अधिक संतुलन बना पा रही है उस राज्य की वास्तविक भयावह स्थिति उतनी ही कम आम जनता के पास पहुँच रही है | आखिर जमीनी काम करने की अपेक्षा आकड़ों की हेराफेरी करना आसान भी है | स्थिति की गंभीरता का आकलन आप अपने आस-पास, सगे-संबंधी, जानने वालों मे से कोरोना की वजह से मृत्यु होने की जानकारी से ही लगा सकते है | जीवन और मृत्यु आज भी किसी के वश मे नहीं है परंतु संक्रमण से इलाज के पश्चात और संक्रमण से बिना इलाज के काल के गाल मे समाने पर जनता का विश्वास सीधे सरकारों मे टूटता है जिन्हे आम जन ने आपदा मे और अधिक कार्य और सहयोग करने के लिए चुना हुआ है | कोरोना से मरने वाले लोगों को जलाने और दफनाने के लिए अब निर्धारित जगह भी कम पड़ने लगी है | कर्नाटक सरकार ने कोरोना संक्रमण से मृत्यु होने वाले लोगो को, अपनी जमीन, फ़ार्महाउस पर जलाने या दफनाने की अनुमति देना, इस बात का प्रमाण है | कई राज्य सरकारों का आपस मे लड़ना भी इस आपदा मे राजनैतिक हवा आम जन के जीवन की लागत पर दे रहा है | ऑक्सिजन तक की लूट, स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मारपीट, आम जन की विवशता और धीरज खोने को दिखा रहा है |
चल रही बड़ी लापरवाही, अव्यवस्था की जिम्मेदारी लेने वाला अभी तक कोई नहीं दिख रहा है | कोरोना वायरस की पहली लहर मे जहाँ केंद्र सरकार ने बढ़-चढ़ कर नीति नियम जारी किए और कार्य किया, वही दूसरी लहर मे जिम्मेदारी राज्यों को दे दी गयी जिनके पास इस आपदा से लड़ने के लिए न पर्याप्त अनुभव, नीति और नियम है और न ही संसाधन | देश मे कुछ भी गलत हो तो उसकी सीधी जिम्मेदारी आम जनता की बता कर सरकार अपना पल्ला झाड़ लेती है और वही इस बार भी दिख रहा है | आम आदमी मास्क न लगाए तो फ़ाइन, पर संक्रमित व्यक्ति को अस्पताल न मिले तो ? अभी भी राज्य सरकारें और केंद्र सरकार नहीं जागे और नए सिरे से इस वायरस से लड़ने की रणनीति बनाकर कार्य नहीं किया तो इतिहास इन्हे कभी माफ नहीं करेगा और लाख अच्छाई के बावजूद इस समय की लापरवाही उनपर काला धब्बा लगाने से नहीं चुकेगी | छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, केरल और सिक्किम ने 18 वर्ष से ऊपर के अपने लोगों को कोरोना टीका फ्री मे लगाने की एक सराहनीय पहल किया है अन्य राज्यों को भी ऐसा करना चाहिए | यह अति अवश्यक है की 1 मई से सबको कोरोना टीका घर - घर जाकर लगाया जाए | देश मे टीके का मूल्य सभी जगह समान हो | इतना कुछ कहने और सुनने के बावजूद यह प्रश्न आप मे, हम मे, अभी भी यही बना हुआ है की "तबाही के इस मंजर की जिम्मेदारी किसकी ?"
डॉ. अजय कुमार मिश्रा
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