जौनपुर की नई सूचना अधिकारी बनी मनोकामना राय, जानिए नये अधिकारी की दर्दभरी जीवन गाथा
जौनपुर। जिला सूचना अधिकारी सुनील कुमार कनौजिया को लखनऊ मुख्यालय भेज दिया गया है उनके स्थान पर लखनऊ से पीसीएस अधिकारी मानोकामना राय को भेजा गया है। मनोकामना राय 2018 बैच की पीसीएस अधिकारी है। इनका जीवन काफी संघर्ष पूर्ण रहा है।
मनोकामना मूल रूप से आजमगढ़ जनपद की निवासी है। जिले की नई सूचनाधिकारी मनोकामना राय की असहनीय दर्द के साथ संघर्ष की महागाथा है जिसमे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते है , इस सच के साथ सोचकर खुद को देखिए जब एक बेटी के पिता अपने बड़े भाई की हत्या के बाद डर और भयवश अपने मूल गाँव सरंगहा ( लाटघाट) छोड़कर लाटघाट बाजार से बाहर निकल कर अपने तीन बेटियों और एक बेटे के साथ अपनी दूसरी पत्नी के साथ मकान बनवाकर रहने लगते है
आजीविका और बच्चों का पालन पोषण करने के लिए उसी घर मे एक दुकान खोल लेते है। समय का पहिया कुछ आगे बढ़ता है दुकान चल पड़ती है। बड़ी बेटी मनोकामना पापा से कहती है कि मैं आगे की पढ़ाई और प्रशासनिक तैयारी के लिए इलाहाबाद जाकर पढ़ना चाह रही हूँ। पिता की अनुमति मिलने के बाद अपनी छोटी बहन के साथ इलाहाबाद चली जाती है दोनों बहनें लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ रही थी तभी पिता की हत्या होने का समाचार मिलता है और उस हत्या का दोष एकमात्र भाई के सिर पर मढ़ दिया जाता है , पुलिस गिरफ़्तार कर लेती है भाई जेल में चला जाता है। एक मनुष्य के लिए कितना भयावह क्षण हो सकता है जब तरुण अवस्था की बड़ी बेटी पहले एकाएक अपनी मां को खोती है,फिर अचानक बड़े पिता की हत्या हो जाती है,पिता के लाख मना करने के बाद भी वह बड़ी बेटी परिवार को एकीकृत करने के लिए अपने पिता को दूसरी शादी के लिए मना लेती है,पुनः पिता की हत्या हो जाती है,,भाई जेल चला जाता है। नियति ने विपत्ति का एक भी कोना छोड़ा नही सब का सब जीवन के आगे प्रस्तुत कर दिया। कहां ऐसी परिस्थिति में बड़े से बड़े शूरमा बिखर जाते है लेकिन मनोकामना ने स्वयं को न बिखरने दिया और नही बहनों और नई मां को किसी के आगे झुकने दिया। चट्टान की तरह कुदरत और भाग्य के हर फैसले को चुनौती देते हुए एक नया निर्णय किया,,,लगभग सारी अचल संपत्ति बेंचकर दिल्ली चली गयी वही छोटी बहन ने एयरहोस्टेस का कोर्स किया और फिर शादी । शादी में अपनी छोटी बहनो का कन्यादान मनोकामना ने स्वयं किया। स्वयं शादी विवाह के संस्कार से दूर गुरुकृपा कोचिंग में अध्यापन करने के साथ लगातार तैयारी करती रही। हर बार परिणाम सफलता से दो कदम पीछे रह जाता रहा किन्तु मनोकामना का साहस कभी कमज़ोर नही हुआ। सन 2018 में मनोकामना की कामना पूरी हुई वह पीसीएस अफसर बन गई।