गोपनीय आख्या के खिलाफ 7 फरवरी को होगी आंदोलन की शुरुआत


जौनपुर । विगत 8 जनवरी को बेसिक शिक्षा परिषद विभाग द्वारा निर्देश दिया गया है कि परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों का मूल्यांकन कर "वार्षिक गोपनीय आख्या" ब्लाक/जनपद के अधिकारियों द्वारा विभाग को प्रेषित की जाएगी और इस गोपनीय आख्या के आधार पर ही शिक्षकों की वेतन वृद्धि व पदोन्नति की जाएगी।

     इस संदर्भ में प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय संगठन मंत्री व जिलाध्यक्ष अमित सिंह ने उपरोक्त आदेश पूर्ण रूप से अव्यवहारिक एवं शिक्षकों का शोषण करने वाला है, विभाग द्वारा जारी निर्देश के अनुसार विद्यालय में कायाकल्प के तहत होने वाले कार्यों के लिए भी अंक तय कर उनका उल्लेख शिक्षकों की गोपनीय आख्या में करने की व्यवस्था की गई है जो पूरी तरह से नियम विरुद्ध व अनुचित है, क्योंकि कायाकल्प के कार्य स्थानीय प्रधानों व पंचायती राज विभाग के द्वारा करवाए जाते हैं।


 उन्होंने बताया कि उपरोक्त आदेश (काले कानून) को वापस लेने के लिए उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष सुशील पांडेय ने बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी को पत्र लिखकर मांग की लेकिन विभाग द्वारा अभी तक इस आदेश को वापस नहीं लिया गया।

सरकार की शिथिलता को देखते हुए उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष सुशील पांडेय के लिए गए के क्रम में 07 फरवरी दिन रविवार को जनपद के समस्त ब्लॉक इकाई के अध्यक्ष/मंत्री के साथ जनपदीय कार्यसमिति के सदस्यों द्वारा सामूहिक रूप से एक ज्ञापन कार्यक्रम के माध्यम से जिलाधिकारी महोदय द्वारा बेसिक शिक्षा मंत्री को सम्बोधित पत्र लिखकर मांग करेंगे कि सरकार तत्काल शिक्षक विरोधी काले कानून (शिक्षकों के वार्षिक गोपनीय आख्या) को वापस ले।

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