जौनपुर की यह तस्वीर मानवता को कर रही है शर्मसार।

 



कड़ाके की इस ठंड में सड़क के किनारे  खुला आसमान के नीचे  एक बुजुर्ग  महिला सोने पर है मजबूर। 



जौनपुर में क्या इंसानियत मर चुकी है? कड़ाके की इस ठंड ने क्या  समाजसेवियों / स्वैच्छिक संगठनों को  रजाई में घुसने पर मजबूर कर दिया है ?क्या हर मुद्दे पर आंदोलन करने वाले  राजनीतिज्ञ लोगों को और कथित बुद्धिजीवियों को  इस बुजुर्ग महिला की आवाज नहीं सुनाई दे रही है ?क्या यही है सबका साथ सबका विकास। यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि जौनपुर से मानवता को शर्मसार करने वाली एक तस्वीर सामने आई है। 
जिला मुख्यालय से कुछ ही दूर पर  जौनपुर -आजमगढ़ मार्ग के किनारे केशवपुर रेल फाटक के समीप एक बुजुर्ग महिला इस कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे सोने पर मजबूर है। सड़क के किनारे बेसुध पड़ी महिला कुछ दिनों तक लोगों से मदद करने की गुहार लगाती रही  परंतु किसी ने उसकी सुध नहीं ली। बेरहम ठंड ने अब बुजुर्ग महिला को इतना लाचार कर दिया है कि वह कुछ बोल भी नहीं पा रही है। यह बुजुर्ग महिला कहां की है । इसका तो कुछ  पता नहीं है लेकिन खाने-पीने के लिए कुछ लोगों द्वारा इस बुजुर्ग महिला को कुछ ना कुछ दे दिया जाता है परंतु अफसोस कि उन लोगों के  पास खुले आसमान के नीचे फुटपाथ पर सोने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है।
जिला प्रशासन ने तो रैन बसेरा खोलकर अपनी जिम्मेदारियों का कागजी घोड़ा दौड़ा कर  अपना पल्ला झाड़ लिया है इसलिए हम उन्हें कुछ नहीं कह सकते  परंतु उनकी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारियों के बारे में क्या कहा जाए शायद उन्होंने मान लिया है जिसका कोई नहीं उसका खुदा है यारों। 
यदि लोगों के अंदर से इस कदर इंसानियत मर जाएगी तो गरीब व  लाचार लोगों का मदद कौन करेगा।

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