सेंवई नाले के पुनरोद्धार के कार्य पर लगा ब्रेक
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जौनपुर। खुटहन विकास खंड के सोलह गांवों से होते हुए लगभग 18 किमी चलकर पिलकिछा गांव के गोमती-सेंवई नदी के संगम स्थल पर समाहित होने वाले सेंवई नाले के पुनरोद्धार के कार्य पर ब्रेक लग गया है। बारिश से पूर्व ही खोदाई का कार्य शुरू किया जाना था। नाले को नया स्वरूप देने के लिए खोदाई, चेकडैम व पुलिया निर्माण के साथ ही सुंदरीकरण के लिए पेड़-पौधे लगाया जाना है। इसके लिए मनरेगा से स्टीमेट बनाकर ढाई करोड़ रुपये स्वीकृत किया गया है।
पांच नदियों से घिरे जिले में यदि छठवें नदी के रूप में प्रकृति द्वारा प्रदत्त इस सेंवई नाले का नाम लिया जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस नाले का अभ्युदय कब हुआ, इसकी स्पष्ट जानकारी किसी के पास नहीं है। बताते हैं कि वर्ष 1970 के पूर्व सीमावर्ती जनपद आबेडकरनगर तक के गांवों का पानी बहकर नाले में आता था। वर्ष 1970 में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी शंकर यादव ने हरित क्रांति योजना के तहत शारदा सहायक खंड-36 का निर्माण शुरू करा दिया। यह नहर सुल्तानपुर जनपद से होते हुए खुटहन ब्लाक मुख्यालय के दर्जनों गांवों को आच्छादित करती हुई पश्चिम से आकर पूर्व दिशा में बगल के जनपद आजमगढ़ की तरफ गई है। वहीं सेंवई नाला उत्तर से दक्षिण दिशा में आया हुआ है। यह नाला सुइथा विकास खंड के बासगांव तेली तारा में धन का निशान बनाते हुए अपनी-अपनी दिशा में निकला हुआ है। यहां से नहर को आगे बढ़ाने के लिए सेंवई नाले के दोनों तरफ लोहे का फाटक लगाकर इसको दो खंडों में विभाजित कर दिया गया है।
नहर को आगे निकालने के बाद से सेंवई नाले का इतिहास यहीं तक सिमट कर रह गया। कभी नहीं सूखता था पानी
खुटहन क्षेत्र के बुजुर्ग बताते हैं कि वर्ष 1970 के पूर्व सेंवई नाले का पानी कभी सूखता नहीं था। पानी हमेशा साफ और स्वच्छ बना रहता था। पहले लोग पशुओं को नहलाने के साथ ही इस पानी का उपयोग पीने के लिए करते थे। जबसे इसे दो खंडों में विभाजित कर नहर निकाली गई है, तब से गर्मियों में पानी सूखने लगा है।
नाले के तट पर कई धार्मिक स्थल सेंवई नाले के तट पर अलग-अलग गांवों में चार प्राचीन मंदिर बने हैं। यहां नियमित रूप से लोग पूजा-पाठ व अन्य धार्मिक कार्यक्रम करते रहते हैं। धिरौली नानकार गांव का बान्हदैत्य मंदिर, रसूलपुर गांव में शिवालय, अशरफगढ़ गांव में वास्तुकला की भव्य सुंदरता के बीच शिव मंदिर तथा धार्मिक स्थल पिलकिछा में भगवान राम, लक्ष्मण, जानकी तथा हनुमान मंदिर स्थित है। नाले को नया स्वरूप देने के लिए मनरेगा से ढाई करोड़ रुपये का स्टीमेट बनाकर स्वीकृत कर दिया गया है। वैश्विक महामारी में बेरोजगार हुए जाबकार्ड धारकों को काम भी देना था लेकिन सभी को सौ दिन काम मिल जाने के कारण कार्य फिलहाल रोक दिया गया है। नए वित्तीय वर्ष में शुरुआत की जाएगी।