11 महीने बाद भी कातिलों के गिरेबां तक नहीं पहुंच सका कानून का हाथ

जौनपुर। मीरगंज थाना क्षेत्र के  किशुनदासपुर गांव में युवक की हत्या के बाद शव बोरे में भरकर कुएं में फेंके जाने के मामले की गुत्थी पुलिस 11 महीने बाद भी सुलझा नहीं सकी है। कातिलों के गिरेबां तक कानून के हाथ न पहुंच पाने से मृतक के स्वजन ही नहीं, आम लोगों का भी पुलिस से भरोसा उठता जा रहा है। गत 22 जनवरी को उक्त गांव निवासी परमेंद्र पाल (24) पुत्र देवराज पाल की हत्या कर बोरे में भरकर फेंका गया शव घर से कुछ दूरी पर कुएं में मिला था। सुराग की तलाश में पुलिस ने मौके पर खोजी कुत्ता बुलाया था। कुत्ता ऐसा कोई सुराग देने में नाकाम रहा जिससे पुलिस के हाथ कातिलों तक पहुंचते। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार ने 25 जनवरी को घटनास्थल का निरीक्षण कर जल्द राजफाश करने का स्वजनों को भरोसा दिलाया था। पूछताछ में मृत युवक के स्वजनों ने किसी से किसी भी तरह की रंजिश होने से इन्कार किया था। सीओ मछलीशहर विजय सिंह व थानाध्यक्ष को पुलिस अधीक्षक ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द राजफाश करने का निर्देश दिया था। पुलिस ने करीब एक पखवाड़े तक खूब हाथ पैर मारा था, लेकिन फिर हाथ पर हाथ धरे बैठ गई। नतीजन आज तक परमेंद्र हत्याकांड अबूझ पहेली बनी हुई है। मालूम हो कि परमेंद्र पाल शव मिलने के एक सप्ताह पहले रहस्य ढंग से घर से लापता हो गया था। खोजबीन के बाद भी कोई सुराग न मिलने पर स्वजनों ने थाने में तहरीर दी थी। पुलिस गुमशुदगी का मामला दर्ज कर छानबीन कर रही थी। शव मिलने के बाद हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। तब से कई थानेदार आए और गए, लेकिन हत्याकांड के रहस्य का अनावरण आज तक नहीं हो सका है।

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