डीएम के एक्शन पर अवैध निर्माण रुका
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जौनपुर। तीन दिनों से एक सिपाही वाराणसी-लखनऊ मार्ग पर दुकान का निर्माण कालोनी के बाशिंदों और प्रशासन को ठेंगे पर रखकर करा रहा था। चूंकि खुद सुल्तानपुर में सिपाही है लिहाजा उसने लाइन बाजार थाना पुलिस को ले देकर अपने पक्ष में किया हुआ था। इतना ही नहीं अद्र्धनिर्मित इस दुकान में पिछले एक साल से अवैध दारु की बिक्री और जुआ भी होता रहा। तमाम शिकायतों के बावजूद पुलिस ने यहां ध्यान नहीं दिया। कालोनी के लोगों की शिकायत पर जिलाधिकारी डीके सिंह ने इस मामले में तत्काल प्रभाव से सिटी मजिस्ट्रेट को आदेश देकर काम रुकवाने और पास नक्शा आदि नियमावली के तहत कार्यवाही का निर्देश दिया।
विदित हो कि लाइन बाजार थाना क्षेत्र के वाराणसी-लखनऊ मार्ग स्थित मतापुर में जानकीपुरम कालोनी एक दशक पूर्व से आबाद है। कालोनी में जाने के लिए लगभग नौ फीट की सड़क है। इसी सड़क के मुहाने पर सिपाही संजय यादव ने मुआयदा कराकर बना लिया। इसमें दारु और जुए का अवैध कारोबार उसी के संरक्षण में चल रहा था। जब वह बारजा बनाने लगा और सड़क पर ही सीढ़ी निकालने लगा तब कालोनी के तमाम लोगों ने पहले थाने पर शिकायत की, यहां से चौकी मियांपुर टरकाया गया। चौकी प्रभारी पहले से ही मिला हुआ था लिहाजा काम रुका नहीं। सोमवार को कालोनी के लोगों ने डीएम से शिकायत की उन्होंने तत्काल सिटी मजिस्ट्रेट और संबंधित विभागों को आदेशित किया, तब अवैध निर्माण रुका और जांच शुरु हो गयी। सिटी मजिस्ट्रेट ने एसओ को काम रुकवाने और मानचित्र की स्थिति को देखने को जेई एवं लोक निर्माण विभाग को भी लिखा है। शिकायत करने वालों में संतोष सिंह, बिंदु प्रकाश सिंह, श्याम नारायण पटेल, गिरीश सिंह, अशोक सिंह, अक्षय कुमार सिंह, कैलाश सिंह, माता प्रसाद, सत्यदेव सिंह, राजेश कुमार सिंह, अरविंद सिंह, आशीष चतुर्वेदी, पंकज सिंह, अजीत सिंह व द्वारिका पटेल आदि रहे।
आदेश की कॉपी लेने से पुलिस ने मना किया
जौनपुर। सिटी मजिस्ट्रेट के आदेश की कॉपी लेकर राजेश कुमार सिंह व हिमांशु प्रताप सिंह गये तो लाइन बाजार पुलिस ने कहा कि यह चौकी प्रभारी मियांपुर का इलाका है, वही सारे प्रकरण देखेंगे। जब यह बताया गया कि वह खुद अपनी सरपरस्ती में अवैध निर्माण करा रहे हैं और कालोनी के लोगों से बदतमीजी भी किये ऐसे में कोई नहीं जाएगाा। सिटी मजिस्ट्रेट के आदेश की कॉपी कई लोगों के अलावा थाने को भी है लिहाजा इसे रखिए और थानाध्यक्ष को दे दीजिए या फिर इसका कुछ भी करिए। इसके बाद पुलिस ने वह कॉपी रख ली और मौके पर पहुंचकर अवैध निर्माण को रुकवा दिया।