पांच पीढि़यों का सपना पूरा होने पर नाथ पंथ के साधू-संन्‍यासी जमकर उत्‍सव मना रहे हैं

  
गोरखपुर से अजय सिंह की रिपोर्ट 
अयोध्‍या में राममंदिर निर्माण के लिए हो रहे भूमिपूजन को लेकर गोरक्षपीठ के मंदिरों में उत्‍सव मनाया जा रहा है। गोरखनाथ मंदिर पिछले कई दिनों से इस उत्‍सव की रोशनी से जगमग हो रहा है। बुधवार को वहां सीएम योगी अवैधनाथ की समाधि पर खुशियों के दीप जलाए गए। पांच पीढि़यों का सपना पूरा होने पर नाथ पंथ के साधू-संन्‍यासी जमकर उत्‍सव मना रहे हैं।
भूमिपूजन में गोरक्षपीठाधीश्‍वर महंत योगी आदित्‍यनाथ बतौर मुख्‍यमंत्री मौजूद होंगे। उनके लिए भी यह क्षण पांच पीढि़यों से देखे जा रहे किसी नामुमकिन से लगने वाले सपने के साकार होने का मौका भी होगा। यह एक योग्‍य शिष्‍य की अपने गुरु के प्रति सच्‍ची श्रद्धांजलि होगी। ऐसे मौके पर मुख्‍यमंत्री के लिए अपनी भावनाओं को सम्‍भाल पाना आसान नहीं होगा।
मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के गुरु महंत अवेद्यनाथ, उनके गुरु महंत दिग्विजयनाथ, उनके गुरु ब्रह्मनाथ, योगीराज बाबा गम्‍भीरनाथ और उनके पहले महंत गोपालनाथ के समय से गोरक्षपीठ अयोध्‍या में श्रीरामजन्‍मभूमि की मुक्ति के संघर्ष से जुड़ी रही है। पांच पीढि़यों का यह रिश्‍ता ही है कि राममंदिर मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की रग-रग में बसता है। इस जिक्र आने पर कभी-कभी वह भावुक हो जाते हैं। 2010 में जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राममंदिर पर अपना फैसला सुनाया तो उनकी आंखों से आंसू निकल आए थे। तब उन्‍होंने कहा था कि श्रीराम सिर्फ हिन्दुओं के देव ही नहीं इस देश के आस्तित्व हैं। राम नहीं तो राष्ट्र नहीं है।
अयोध्‍या से 137 किलोमीटर दूर स्थित गोरखनाथ मंदिर ब्रिटिश काल में ही रामजन्‍मभूमि मुक्ति आंदोलन का केंद्र बिंदु बन गया था। 1935 में गोरक्षपीठाधीश्‍वर बने महंत दिग्विजयनाथ मंदिर आंदोलन के भी अगुआ बन गए। 1937 में हिन्‍दू महासभा में शामिल होने के बाद उन्‍होंने हिन्‍दू समाज को तेजी से राममंदिर के लिए एकजुट करना शुरू किया। उन्‍होंने अयोध्‍या में स्‍वयंसेवकों की टीम का नेतृत्‍व किया। बलरामपुर के राजा पाटेश्‍वरी प्रसाद सिंह और प्रसिद्ध संत स्‍वामी करपात्री महराज के साथ बैठक कर रामजन्‍मभूमि मुक्ति की रणनीति बनाई। उसी समय से आंदोलन तेज होने लगा। 22-23 दिसम्‍बर 1949 की रात विवादित ढांचे में रामलला के प्राक्टय के समय महंत दिग्विजयनाथ वहां मौजूद थे। उनके नेतृत्‍व में वहां कीर्तन-भजन चला और राममंदिर मुद्दा चर्चा के केंद्र में आ गया।
महंत दिग्विजयनाथ के बाद महंत अवेद्यनाथ ने अपने गुरु की मशाल थाम राममंदिर आंदोलन को आगे बढ़ाया। वह शैव-वैष्‍णव सहित सभी पंथों-मतों के धर्माचार्यों को एक मंच पर लाने में कामयाब रहे। श्रीराम जन्‍मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन किया गया। महंत अवेद्यनाथ इसके आजीवन अध्‍यक्ष रहे।
1994 से योगी ने सम्‍भाली कमान
गोरक्षपीठाधीश्‍वर का संघर्ष चलता रहा। राममंदिर आंदोलन से प्रभावित योगी आदित्‍यनाथ (उस समय अजय सिंह बिष्‍ट के नाम से जाने जाते थे) ने 1992 में गोरखपुर में महंत अवेद्यनाथ से मुलाकात की। कहा जाता है कि यदि राम मंदिर निर्माण के लिए आन्दोलन नहीं चल रहा होता तो योगी आदित्यनाथ की मुलाकात महंत अवेद्यनाथ ने नहीं हुई होती। उन्‍होंने संन्‍यास ग्रहण कर लिया और 1994 में महंत अवेद्यनाथ उन्हें अपना उत्तराधिकारी बना दिया। नाथ पंथ के जानकार और महराणा प्रताप पीजी कालेज के प्राचार्य डा. प्रदीप राव कहते हैं कि जब वह गोरक्षपीठ के उत्तारधिकारी बनते हैं तो सिर्फ पीठ के ही नहीं उसकी वैचारिक थाती के भी उत्तराधिकारी बनते हैं। इसी नाते वह पांच पीढि़यों से चले आ रहे राममंदिर आंदोलन के भी उत्तराधिकारी बन जाते हैं। 1994 के बाद राममंदिर निर्माण को लेकर चले अभियानों में महंत अवेद्यनाथ के निर्देश पर योगी आदित्यनाथ ने अगुवाई करनी शुरू कर दी। उसी दौरान वह देश भर के साधु संन्‍यासियों के सम्‍पर्क में आए। महंत अवेद्यनाथ अक्‍सर कहा करते थे कि अयोध्‍या में जन्‍मभूमि पर भगवान श्रीराम का भव्‍य राममंदिर निर्माण बने यह उनकी एकमात्र इच्‍छा है। योगी आदित्‍यनाथ अपने गुरु की इस इच्‍छा को पूरा करने के लिए दिन-रात जुटे रहे।
1998 में महंत अवेद्यनाथ के सक्रिय राजनीति से संन्‍यास लेने के बाद वह उनके राजनीतिक उत्‍ताधिकारी भी बने और देश में प्रखर हिन्‍दूवादी नेता के तौर पर उभरकर सामने आए। 1998 में देश के सबसे कम उम्र के सांसद बने और उसके बाद लगातार पांच बार उसी सीट से जीतते रहे।
1997-98 में रामंदिर आंदोलन धीरे-धीरे राजनीतिक परिदृश्‍य से हटने लगा था। तब योगी आदित्‍यनाथ ने पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में विश्‍व हिन्‍दू महासम्‍मेलन और विराट हिन्‍दू संगम कराकर इसे फिर से जीवंत कर दिया। गोरखपुर में आयोजित इन सम्‍मेलनों में आसपास के जिलों से बड़ी संख्‍या में लोगों ने शिरकत की। विहिप नेता अशोक सिंघल ने योगी आदित्‍यनाथ को पूरा समर्थन किया। योगी सड़क से संसद तक राममंदिर आंदोलन की प्रमुख आवाज बन गए। उन्‍होंने हिन्‍दू युवा वाहिनी का गठन करके युवाओं को एकजुट किया और राममंदिर आंदोलन को गांव-गांव में पहुंचा दिया। जल्‍द ही वाहिनी का प्रदेश व्‍यापी संगठन खड़ा हो गया।
बतौर सीएम अयोध्‍या को चमकाने की कवायद
19 मार्च 2017 को मुख्‍यमंत्री बनने के तुरंत बाद योगी आदित्‍यनाथ ने कहा था कि राममंदिर निर्माण जल्द शुरू होगा। बतौर मुख्‍यमंत्री वह अनेक बार अयोध्‍या गए। उन्‍होंने अयोध्‍या को नगर निगम घोषित किया। फैजाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्‍या किया। अयोध्‍या में पर्यटन के विकास और पर्यटकों की सुविधाओं के लिए कई परियोजनाएं शुरू कीं। इसके साथ ही 2017, 2018 और 2019 में अयोध्‍या में दीपावली की शाम भव्‍य दीपोत्‍सव कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हुई। राज्‍य सरकार ने अयोध्‍या में सरयू नदी के किनारे 200 फीट ऊंची श्रीराम की प्रतिमा स्‍थापित करने का भी निर्णय लिया है। 25 मार्च को योगी आदित्‍यनाथ ने अयोध्‍या में रामलला की मूर्ति को टेंट से फाइबर के अस्‍थाई मंदिर में स्थापित किया। पांच अगस्‍त को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के साथ वह मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन में शामिल होने जा रहे हैं। उन्‍हें पांच पीढि़यों के गोरक्षपीठ के संघर्ष को राममंदिर निर्माण के निर्णायक मुकाम तक पहुंचाने का यह सौभाग्‍य बड़ी मेहनत से हासिल हुआ है।

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