कर्बला में नही हो सका ताज़िया दफन,न ही निकले जुलूस


 जौनपुर। जनपद में रविवार को गमगीन माहौल में यौमे आशूरा मनाया गया। शनिवार की रात शिया बाहुल मोहल्ले में लोगो ने अपने अपने घरों के अज़ाखानों को सजा कर हज़रत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए नौहा मातम के साथ आंसूओं का नज़राने पेश किया। गौरतलब है कि उस साल कोरोना महामारी के चलते जुलूस व तजिया नही निकाला जा सका जिसकी मायूसी अजादारों के चेहरों पर साफ दिखाई दे रही थी। ताजियों का दफन न होना भी उनके चेहरों पर साफ झलक रहा था, हालांकि अजाखानों में मजलिसें शामे गरीबां आयोजित हुई वो भी सोशल डिस्टेन्स के साथ जहाँ मातमी अंजुमनों ने नौहा मातम कर कर्बला के शहीदों को पुरस दिया । नगर क्षेत्र के अधिकांश मोहल्ले जैसे सदर इमामबारगाह , चहारसू चौराहे, शाहअबुल हसन भंडारी, बलुआघाट, सिपाह ,कटघरा, मोहल्ला रिजवीं खां, पुरानी बाजार, ताड़तला, बारादुअरिया, अहियापुर, पानदरीबा के अजादारों ने अपने अपने घरों के अज़ाखानों को सजा कर अलम, ताबूत,व ताजिए रखे ।रविवार को भोर में अलविदा नौहा पढ़ने के बाद अज़ादारो ने नमाज़-ए-आशूरा पढ़ा। शाम को मजलिसें शामे गरीबां इस बार ऑनलाइन हुई जिसको ज़ाकिर कैसर नवाब ने खेताब करते हुए बताया कि किस तरह हज़रत इमाम हुसैन को उनके 71 साथियों के साथ तीन दिन का भूखा प्यासा शहीद कर दिया ।यज़ीदी फौजो ने परिवार की महिलाओं बच्चों पर जो ज़ुल्म ढाया उसे कोई नही भुला सकता है आज हम सब उन्ही को पुरस दे रहे है।उन्होंने कहा कि हज़रत इमाम हुसैन ने पूरी इंसानियत को बचाने के लिये शहादत दिया था।यही वजह है कि मोहर्रम में सभी मजहब के लोग शामिल होते है और इमाम हुसैन का गम मनाते है।आज हम लोग कोरोना जैसी महामारी से भी जंग कर रहे इंशाअल्लाह अगले साल अगर ज़िंदा रहे तो इमाम का गम पूरी शान के साथ सड़को पर जुलूस निकाल पर मनायेगे।

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