जौनपुर : खेतो में पराली जलाना अब मंहगा साबित होगा, ऐसा करने वालो पर जहाॅं जुर्माना लगाया जायेगा, वही दोबारा पकड़े जाने पर कृषि विभाग के अनुदान से वंचित कर दिया जायेगा। यह कानून राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन0जी0टी0) ने खेतो से लाभदायक जीवाणुओ को बचाने और पर्यावरण संरक्षण के लिये लागू किया है। वर्तमान में रबी फसलो की कटाई के बाद, जो डंठल बचता है किसान उसे खेत में ही जला देते है, फलस्वरूप भूमि की ऊपरी सतह जल जाती है, उससे लाभदायक जीवाणुु समाप्त होने के साथ ही पर्यावारण भी प्रदुषित होता है। फसल अवशेष जलाने से तमाम बस्तियों, खेतो, जंगलो आदि स्थानो पर अगलगी की तमाम दुर्घटनाये होती रहती है। इस गम्भीर समस्या को देखते हुये राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन0जी0टी0) नें खेतो में फसल अवशेष जलाने वालो पर दण्डात्मक कानून बना दिया है।
फसल अवशेष जलाने पर जहाॅं रू0 ढाई हजार से लेकर रू0 पन्द्रह हजार तक जुर्माने की राशि तय की गई है, वही दोबारा खेत में फसल अवशेष जलाते हुये पकड़े जाने पर ऐसे कृषको को कृषि विभाग से मिलने वाले अनुदानो से भी वंचित कर दिया जायेगा। अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) रामप्रकाश ने किसानों को सुझाव दिया है कि गेहॅंू की कटाई स्ट्रा रीपर सहित हार्वेस्टर से ही कराये। यह यंत्र डंठल का भूसा बना देगी इससे पशुओ के लिये चारा भी मिल जायेगा वही दूसरी सबसे बड़ी समस्या खेत में आग लगाने से भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है और मिट्टी के अन्दर स्थित मित्र कीटो की मृत्यु हो जाती है, इससे मृदा का संतुलन भी बिगड़ जाता है, इससे निजात मिलेगी। अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) द्वारा बताया गया कि बगैर स्ट्रा रीपर के हार्वेस्टर मशीन से कटाई पर भी रोक लगाई गई है। जो भी हार्वेस्टर मशीन धारक बिना स्ट्रा रीपर के कटाई करते हुये पाये गये तो उनकी मशीन जब्त कर कानूनी कार्यवाही की जायेगी। उनके द्वारा बताया गया कि खेतो में डंठल जलाने से किसानो एवं पर्यावरण दोनो को क्षति होती है, मिट्टी में स्थित पोषक तत्व नष्ट हो जाते है, वही मिट्टी के अन्दर पल रहे केचूआ व अन्य मित्र कीटो की भी असमय मौत हो जाती है। केचूआ मिट्टी को भुरभुरा बनाकर मृदा को उर्वरा बनाने का कार्य करता है। मृदा जीवन का आधार है, इसे बचाये।
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