किन पर करें विश्वास ?
https://www.shirazehind.com/2020/05/blog-post_976.html
हम सबको विश्वास की तलाश हमेशा रहती है कहीं भी किसी से भी हम, किसी काम से मिलतें है तो हमे विश्वास से पूर्ण व्यक्ति की आवश्यकता होती है | सभी चहतें है की विश्वासी व्यक्ति मिले, विश्वास करने योग्य वस्तु मिले, और विश्वास करने योग्य स्थान मिले | आखिर हो भी क्यों न ऐसा, क्योंकि विश्वास का सीधा संबंध सुरक्षा और आत्म संतुष्टि से जो है | कई बार हम अपनी समस्या या गोपनीय जानकारी उसी व्यक्ति को बताना या साझा करना चाहते है जो विश्वास के योग्य हो फिर चाहे वह फैमिली मेम्बर हो या फिर दोस्त, रिश्तेदार |
विश्वास के कई रूप होते है अपनों का अपनों पर, समाज का लोगों पर, कम्पनी का कर्मचारियों पर, स्कूल का बच्चों पर, मा-बाप का बच्चों पर, सभी के लिए विश्वास होना कही न कही जरूरी है पर क्या आपको पता है विश्वास लगातार बना रहें इसके लिए अति आवश्यक है की विश्वासी व्यक्ति का समय -समय पर परीक्षा लिया जाए | क्योंकि यदि आप ऐसा नहीं करते है तो कई बार आपको भारी निराशा का सामना करना पड़ सकता है |
यदि आपने अपने बच्चों पर पूरे साल विश्वास किया की, वह परीक्षा मे सफल हो जाएगा और आपने स्वयं मे उसका मूल्यांकन नहीं किया तो हो सकता है वह सफल हो जाए और यह भी हो सकता है की वह सफल न हो | यदि वह सफल नहीं होता है तो आपको अपने आप कई प्रश्नों से सामना करना पड़ सकता है | कई बार विश्वास ऐन मौके पर धोखा देता है जिसे हम यह मानकर आगे बढ़ जाते है की शायद यह ईश्वर की मर्जी थी | पर वास्तव मे वह हमारी लापरवाही का परिणाम होता है |
ये विश्वास ही है जो दोनों पहलुओं और पक्षों के रिश्तों को मजबूत करता है | यदि हम किसी पर विश्वास कर रहें है और वह हमारी भावनाओं और विचारों को स्पष्टतः समझ रहा है तो निसन्देह बदले मे वह हम पर न केवल विश्वास करेगा | बल्कि मेरे विश्वास को कभी टूटने नहीं देगा | यानि की विश्वास की शुरुआत संवाद पर आधारित होती है जितना स्पष्ट और तार्किक, उद्देश्य युक्त, स्वीकार योग्य, संवाद होगा विश्वास उतना मजबूत जरूर होगा |
विश्वास और विश्वासी व्यक्ति को धनी / गरीब सभी लोग तलाश कर रहें है जिनमे से कुछ कम लोगों की ही यह तलाश पूरी हो पाती है वजह लोग शुरू मे तो विश्वासी नजर आते है पर क्षणिक लालच की वजह से परिवर्तित हो जाते है | शायद यही कारण है की विश्वासी से अविश्वासी मे तेजी से परिवर्तित होते चले जा रहे है | इसके पीछे कई कारण हो सकते है | आधुनिकता और वस्तुओं के प्रति मजबूत इच्छाशक्ति उनमे से एक है |
अनेकों लोग प्रारंभ मे ऐसा संवाद और व्यवहार करते है की लगता है शायद यह व्यक्ति दुनिया का अंतिम व्यक्ति है विश्वास करने को पर समय के साथ साथ ऐसे लोग तेजी से बदल जाते है | तो यहा सवाल यह उठता है की विश्वास किस पर किया जाए किस पर नहीं और यदि विश्वास किया जाए तो उसकी परीक्षा कैसे ली जाए |
इन बातों का जबाब देने से पहले यह एक बात जरूरी है की विश्वास के चक्र से सबसे ज्यादे बचने की जरूरत है तो नव-युवकों और नव-युवतियों को | क्योंकि यही वो वर्ग है जो आसानी से झूठे विश्वास का शिकार हो जाते है और आंखे तब खुलती है जब उनके हाथ मे सम्हालने को कुछ भी नहीं बचता | इसका मतलब यह नहीं है की बाकी लोगों के साथ ऐसा नहीं होता | अन्य लोग ऐसी अवस्था से या समय से गुजर चूके होते है जिससे उन्हे विश्वास का वास्तविक स्वरूप पता होता है जिससे उनमे से बहोत कम लोग अविश्वास का शिकार होतें है | पर होते जरूर है |
विश्वास एक ऐसी शक्ति है जिसके जरिए एक व्यक्ति अपनी क्षमता दुगनी कर सकता है अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत कर सकता है अपनी समस्याओ पर विजय पा सकता है बड़े समूह के लोगों से हेल्प पा सकता है | विश्वास उसी पर किया जाए जिसकी विचारधारा और संवाद आपकी विचारधारा से मिलते हो पर किसी नुकशान से बचने के लिए यह जरूरी है की समय-समय पर उसका मूल्यांकन जरूर किया जाए | सामाजिक और नैतिक दायरे के बाहर जाकर किसी पर भी विश्वास न किया जाए | अब बात होती है की विश्वास की परीक्षा कैसे ली जाए | सबसे सरल तरीका यह है की आप संवाद का मूल्यांकन नियमित रूप से करें और और यह जानने की कोशिस करें की जिस पर हम विश्वास कर रहें है उसका वास्तविक उद्देश्य क्या है | यदि आप ऐसा करते है तो निसन्देह वास्तविक विश्वास करने योग्य व्यक्ति की आप परख कर पायेगे |
माँ-बाप को चाहिये की अपने बच्चों पर विश्वास करें पर समय – समय पर अच्छे बुरे की पहचान बच्चों को करातें रहें और उनके नैतिक मूल्यों का बारीकी से मूल्यांकन करें | प्रत्येक बच्चों को चाहिये की माँ-बाप पर शत-प्रतिशत विश्वास करें क्योंकि जिसने आपको जन्म दिया है वह कभी भी कही भी आपका बुरा नहीं चाहेगा | विश्वास का ही दूसरा स्वरूप है आत्मविश्वास जिसे प्राप्त हो जाने से कठिन से कठिन परिस्थितियों पर आसानी से विजय पायी जा सकती है |
डॉ. अजय कुमार मिश्रा (लखनऊ)
drajaykrmishra@gmail.com
विश्वास के कई रूप होते है अपनों का अपनों पर, समाज का लोगों पर, कम्पनी का कर्मचारियों पर, स्कूल का बच्चों पर, मा-बाप का बच्चों पर, सभी के लिए विश्वास होना कही न कही जरूरी है पर क्या आपको पता है विश्वास लगातार बना रहें इसके लिए अति आवश्यक है की विश्वासी व्यक्ति का समय -समय पर परीक्षा लिया जाए | क्योंकि यदि आप ऐसा नहीं करते है तो कई बार आपको भारी निराशा का सामना करना पड़ सकता है |
यदि आपने अपने बच्चों पर पूरे साल विश्वास किया की, वह परीक्षा मे सफल हो जाएगा और आपने स्वयं मे उसका मूल्यांकन नहीं किया तो हो सकता है वह सफल हो जाए और यह भी हो सकता है की वह सफल न हो | यदि वह सफल नहीं होता है तो आपको अपने आप कई प्रश्नों से सामना करना पड़ सकता है | कई बार विश्वास ऐन मौके पर धोखा देता है जिसे हम यह मानकर आगे बढ़ जाते है की शायद यह ईश्वर की मर्जी थी | पर वास्तव मे वह हमारी लापरवाही का परिणाम होता है |
ये विश्वास ही है जो दोनों पहलुओं और पक्षों के रिश्तों को मजबूत करता है | यदि हम किसी पर विश्वास कर रहें है और वह हमारी भावनाओं और विचारों को स्पष्टतः समझ रहा है तो निसन्देह बदले मे वह हम पर न केवल विश्वास करेगा | बल्कि मेरे विश्वास को कभी टूटने नहीं देगा | यानि की विश्वास की शुरुआत संवाद पर आधारित होती है जितना स्पष्ट और तार्किक, उद्देश्य युक्त, स्वीकार योग्य, संवाद होगा विश्वास उतना मजबूत जरूर होगा |
विश्वास और विश्वासी व्यक्ति को धनी / गरीब सभी लोग तलाश कर रहें है जिनमे से कुछ कम लोगों की ही यह तलाश पूरी हो पाती है वजह लोग शुरू मे तो विश्वासी नजर आते है पर क्षणिक लालच की वजह से परिवर्तित हो जाते है | शायद यही कारण है की विश्वासी से अविश्वासी मे तेजी से परिवर्तित होते चले जा रहे है | इसके पीछे कई कारण हो सकते है | आधुनिकता और वस्तुओं के प्रति मजबूत इच्छाशक्ति उनमे से एक है |
अनेकों लोग प्रारंभ मे ऐसा संवाद और व्यवहार करते है की लगता है शायद यह व्यक्ति दुनिया का अंतिम व्यक्ति है विश्वास करने को पर समय के साथ साथ ऐसे लोग तेजी से बदल जाते है | तो यहा सवाल यह उठता है की विश्वास किस पर किया जाए किस पर नहीं और यदि विश्वास किया जाए तो उसकी परीक्षा कैसे ली जाए |
इन बातों का जबाब देने से पहले यह एक बात जरूरी है की विश्वास के चक्र से सबसे ज्यादे बचने की जरूरत है तो नव-युवकों और नव-युवतियों को | क्योंकि यही वो वर्ग है जो आसानी से झूठे विश्वास का शिकार हो जाते है और आंखे तब खुलती है जब उनके हाथ मे सम्हालने को कुछ भी नहीं बचता | इसका मतलब यह नहीं है की बाकी लोगों के साथ ऐसा नहीं होता | अन्य लोग ऐसी अवस्था से या समय से गुजर चूके होते है जिससे उन्हे विश्वास का वास्तविक स्वरूप पता होता है जिससे उनमे से बहोत कम लोग अविश्वास का शिकार होतें है | पर होते जरूर है |
विश्वास एक ऐसी शक्ति है जिसके जरिए एक व्यक्ति अपनी क्षमता दुगनी कर सकता है अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत कर सकता है अपनी समस्याओ पर विजय पा सकता है बड़े समूह के लोगों से हेल्प पा सकता है | विश्वास उसी पर किया जाए जिसकी विचारधारा और संवाद आपकी विचारधारा से मिलते हो पर किसी नुकशान से बचने के लिए यह जरूरी है की समय-समय पर उसका मूल्यांकन जरूर किया जाए | सामाजिक और नैतिक दायरे के बाहर जाकर किसी पर भी विश्वास न किया जाए | अब बात होती है की विश्वास की परीक्षा कैसे ली जाए | सबसे सरल तरीका यह है की आप संवाद का मूल्यांकन नियमित रूप से करें और और यह जानने की कोशिस करें की जिस पर हम विश्वास कर रहें है उसका वास्तविक उद्देश्य क्या है | यदि आप ऐसा करते है तो निसन्देह वास्तविक विश्वास करने योग्य व्यक्ति की आप परख कर पायेगे |
माँ-बाप को चाहिये की अपने बच्चों पर विश्वास करें पर समय – समय पर अच्छे बुरे की पहचान बच्चों को करातें रहें और उनके नैतिक मूल्यों का बारीकी से मूल्यांकन करें | प्रत्येक बच्चों को चाहिये की माँ-बाप पर शत-प्रतिशत विश्वास करें क्योंकि जिसने आपको जन्म दिया है वह कभी भी कही भी आपका बुरा नहीं चाहेगा | विश्वास का ही दूसरा स्वरूप है आत्मविश्वास जिसे प्राप्त हो जाने से कठिन से कठिन परिस्थितियों पर आसानी से विजय पायी जा सकती है |
डॉ. अजय कुमार मिश्रा (लखनऊ)
drajaykrmishra@gmail.com