प्रवासियों में बढ़ी पुरानी पहचान की ललक
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जौनपुर । कोरोना वायरस के खौफ व लॉकडाउन के चलते काम धंधा बंद होने से जिले में करीब ढाई लाख प्रवासी मजदूरों की वापसी हुई है। यह वही प्रवासी कामगार श्रमिक हैं जो रोजी-रोटी के सिलसिले में गांव छोड़कर महानगरों की ओर रुख कर लिए थे। अब घर लौटने के बाद वे अपनी पुरानी पहचान को पाने को आतुर दिखाई पड़ रहे हैं। ऐसे में तमाम दस्तावेजों में नाम चढ़वाने की होड़ मची हुई है। कोई प्रधान के यहां तो कोई सरकारी कार्यालयों का चक्कर काट रहा है। अब प्रशासन के सामने इतनी संख्या में लोगों का काम करने में समस्या हो रही है। महानगरों से जनपद में जिन लोगों की वापसी हुई है। इसमें ज्यादातर श्रमिक हैं। सरकारी कार्यालयों के खुलने के बाद यह रोजगार व स्थानीय स्तर पर योजनाओं का लाभ पाने के लिए सरकारी दस्तावेजों में नाम चढ़वाने में लगे हुए हैं। जिसका आलम यह है कि गांव व ब्लाक में कुटुंब व परिवार रजिस्टर की नकल लेने के लिए सेक्रेटरी से लेकर ब्लाक कार्यालयों में अधिकारियों की मिन्नते कर रहे हैं। वहीं राशन कार्ड बनवाने के लिए लोग प्रधान व जिलापूर्ति कार्यालय का भी चक्कर काट रहे हैं। इसके अलावा मनरेगा में रोजगार के लिए जाबकार्ड बनवाने के लिए ग्राम रोजगार सेवक, सेक्रेटरी, प्रधान से संपर्क कर रहे हैं। जिससे रोजाना उनको गांव में ही रोजगार मिल सके। यह मजदूर इस वजह से परेशान हैं क्योंकि हालात कब तक सामान्य होंगे और इनकी वापसी कब तक महानगरों की ओर होगी यह वह नहीं जानते हैं। जिला प्रशासन केअधिकारी कहते है कि प्रवासियों की हर सुविधा पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्हें शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए राशन कार्ड बनाने, जाबकार्ड बनाने से लेकर खाद्यान्न तक मुहैया कराया जा रहा है। ब्लाक से लेकर तहसील तक के कर्मचारियों से कह दिया गया है कि प्रवासियों की सुविधाओं पर विशेष ध्यान दें।