पत्रकारिता दिवस और उदन्त मार्तण्ड
https://www.shirazehind.com/2020/05/blog-post_646.html
भाषा में 'उदन्त मार्तण्ड' के नाम से पहला समाचार पत्र 30 मई 1826 में निकाला गया था। इसलिए इस दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने इसे कलकत्ता से एक साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर शुरू किया था। इसके प्रकाशक और संपादक भी वे खुद थे। इस तरह हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले पंडित जुगल किशोर शुक्ल का हिंदी पत्रकारिता की जगत में विशेष सम्मान है। आलेख
पत्रकारिता का उद्देश्य ही लोगों को कुछ नया, कुछ दिलचस्प और उपयोगी बताना है जो वे नहीं जानते. ज़्यादातर पत्रकार, ख़ास तौर पर वे पत्रकार जिनकी हम सभी प्रशंसा करते हैं, अक्सर चिंतित रहते हैं कि उनकी रिपोर्ट मौलिक हो, उसमें कोई नई बात हो. मौलिक पत्रकारिता एक कौशल है जिसे आप सीख सकते हैं लेकिन वह दिन-ब-दिन मुश्किल होती जा रही है।
पत्रकारों को अब पहले के मुक़ाबले कहीं अधिक काम करना पड़ता है, अब एक ही रिपोर्टर को रेडियो, टीवी, वेबसाइट सबके लिए रिपोर्टिंग करनी पड़ती है. ऐसी स्थिति में अक्सर यही होता है कि पत्रकार ख़बरों को प्रसारण या प्रकाशन के लिए तैयार करते रह जाते हैं, नया कुछ पैदा करने के लिए जिस तरह के रिसर्च की ज़रूरत होती है उसका समय ही उन्हें नहीं मिल पाता.
आज पत्रकारिता भी इस भौतिकवादी युग मे व्यवसायिक हो गयी है।मौलिकता की कमी क्षद्म और अप्रशिक्षित पत्रकारों का इस पेशे में प्रवेश पत्रकारिता जगत की विश्वसनीयता एवम इसकी गरिमा को दिनों-दिन गिराता चला जा रहा है।
इसके अलावा इंटरनेट पर दुनिया पर बेहतरीन और बदतरीन जानकारियों का अंबार लगा है लेकिन उसे करीने से लोगों के सामने पेश करने का हुनर बहुत कम लोगों के पास है.
राजेश सिंह
जिला उपाध्यक्ष
माध्यमिक शिक्षक संघ
जौनपुर
पत्रकारिता का उद्देश्य ही लोगों को कुछ नया, कुछ दिलचस्प और उपयोगी बताना है जो वे नहीं जानते. ज़्यादातर पत्रकार, ख़ास तौर पर वे पत्रकार जिनकी हम सभी प्रशंसा करते हैं, अक्सर चिंतित रहते हैं कि उनकी रिपोर्ट मौलिक हो, उसमें कोई नई बात हो. मौलिक पत्रकारिता एक कौशल है जिसे आप सीख सकते हैं लेकिन वह दिन-ब-दिन मुश्किल होती जा रही है।
पत्रकारों को अब पहले के मुक़ाबले कहीं अधिक काम करना पड़ता है, अब एक ही रिपोर्टर को रेडियो, टीवी, वेबसाइट सबके लिए रिपोर्टिंग करनी पड़ती है. ऐसी स्थिति में अक्सर यही होता है कि पत्रकार ख़बरों को प्रसारण या प्रकाशन के लिए तैयार करते रह जाते हैं, नया कुछ पैदा करने के लिए जिस तरह के रिसर्च की ज़रूरत होती है उसका समय ही उन्हें नहीं मिल पाता.
आज पत्रकारिता भी इस भौतिकवादी युग मे व्यवसायिक हो गयी है।मौलिकता की कमी क्षद्म और अप्रशिक्षित पत्रकारों का इस पेशे में प्रवेश पत्रकारिता जगत की विश्वसनीयता एवम इसकी गरिमा को दिनों-दिन गिराता चला जा रहा है।
इसके अलावा इंटरनेट पर दुनिया पर बेहतरीन और बदतरीन जानकारियों का अंबार लगा है लेकिन उसे करीने से लोगों के सामने पेश करने का हुनर बहुत कम लोगों के पास है.
राजेश सिंह
जिला उपाध्यक्ष
माध्यमिक शिक्षक संघ
जौनपुर