अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार का प्रयास : डा लाल साहब

कोरोना संकट के पूर्व ही अर्थव्यवस्था जीडीपी की विकास दर, बेरोजगारी, सूक्ष्म लघु और मझौले उद्योग (यम, यस ,यम ,ई)और बैंकों की स्थिति को लेकर दबाव में थी जिसे अवसाद की स्थिति कहा जा सकता है। कोरोना जैसी संक्रामक महामारी से बचने के लिए पूरे देश की आर्थिक गतिविधियों को बंद करना पड़ा जो एक साहसिक व विवेकपूर्ण निर्णय था किंतु इसने अर्थव्यवस्था को अवसाद से गंभीर मंदी में पहुंचा दिया है ,वर्तमान वित्त वर्ष के लिए अर्थशास्त्रियों का अनुमान ऋणात्मक विकास दर होने का है सरकार अर्थव्यवस्था की रिकवरी के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के प्रोत्शानपैकेज की घोषणा (आत्मनिर्भर भारत अभियान) के तहत किया है सरकार का दावा है कि यह जीडीपी का 10% है किंतु अर्थशास्त्रियों और विद्वानों का अनुमान है कि इससे राजकोषीय व्यय में वृद्धि वास्तविक रूप से जीडीपी की 2 से3% ही होगी इस पैकेज को मुख्य रूप से चार बिंदुओं पर समझा जा सकता है प्रथम इस पैकेज में किसानों ,सूक्ष्म लघु मध्यम उद्योगों, नवउद्यमियों आदि के लिए ऋण की सुविधा को आसान बना कर तरलता में वृद्धि करने का उपाय किया गया है दूसरा पुरानी स्कीमों की रिपैकिंग की गई है तीसरा सरकार ने इस महामारी के अवसर का लाभ उठाकर राजनीतिक व सामाजिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में आर्थिक सुधारों में एक छलांग लगा दी है जैसे रक्षा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा को 49% से बढ़ाकर 74% कर ना ,कोयला व खनन सेक्टर में निजी क्षेत्र की बड़ी भूमिका सुनिश्चित करना, आणविक ऊर्जा व अंतरिक्ष जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को विदेशी विदेशी कंपनियों के लिए खोलना , एम् एस एम ई की परिभाषा में परिवर्तन कृषि उत्पाद के विपणन कानून  में संशोधन और सबसे संवेदनशील श्रम कानूनों में सुधार , चौथा आरबीआई द्वारा अपनी विस्तारक मौद्रिक नीति के द्वाराडाले गए 8000 करोड़ रुपए को भी इस पैकेज में शामिल किया गया है यह सभी उपाय सराहनीय है किंतु यह एक पक्षीय है इसमें सिर्फ पूति॑ पक्ष पर ध्यान दिया गया है।ऋण कितना भी सस्ता व आसानी से उपलब्ध हो जाए किंतु जब तक बाजार में प्रचुर मात्रा में मांग नहीं होगी उद्योगों विशेषकर एम् एस एम ई अपना निवेश नहीं बढ़ाएंगे इस प्रकार पूर्ति पक्ष के साथ-साथ मांग पक्ष पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है इस भयानक बीमारी की त्रासदी झेल रहे लोगों को प्रत्यक्ष मदद की जरूरत है हालांकि मनरेगा के आवंटन में ₹40000करोड की अतिरिक्त राशि ,महिला जनधन खातों में  नकद हस्तांतरण ,टीडीएस  व टी सी यश में 25% की कटौती, किसान सम्मान निधि के तहत किसानों के खातों में वर्ष में ₹6000 भेजना जैसे प्रत्यक्ष सहायता व मांग को बढ़ाने वाले उपाय किए गए ।हैं ।किंतु इन प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण जैसे उपायों पर और अधिक बल देना चाहिए इससे त्रासदी की मार झेल रहे प्रवासियों और श्रमिकों का जीवन निर्वाह भी हो सकेगा साथ ही साथ मांग मे वृद्धि होगी यह बढ़ी हुई मांग स्वदेशी उत्पादों की मुख्य रूप से सूक्ष्म लघु उद्योग क्षेत्र की हो क्योंकि इनकी रोजगार प्रदान करने की सोच अधिक होती है इसके लिए विदेशी सस्ते आयातो पर कर की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए हालांकि इससे उपभोक्ताओं को थोड़ा महंगा सामान खरीदना पड़ सकता है पर यह एक प्रकार से रोजगार टैक्स के समान होगा साथ ही देश के बड़े उद्यमियों पर टैक्स बढ़ाकर छोटे उद्यमों को राहत देनी चाहिए इन सब उपायों से सूक्ष्म लघु व मझोले उद्योगों के सामान सस्ते होंगे उनकी मांग होगी और वह इस मांग से प्रेरित होकर सस्ते लोन का लाभ उठाकर अपना निवेश बढ़ाएंगे और इससे रोजगार और अर्थव्यवस्था दोनों को लाभ होगा और अर्थव्यवस्था का पुनः रिकवरी का चक्र चल चलेगा ।ऐसा माना जा रहा है कि   सरकार पूर्ति पक्ष पर ध्यान देकर मध्यम कालीन व दीर्घकालीन विकास दर पर इसलिए ध्यान दे रही है कि कोरोना की लड़ाई महीनों या वर्षों तक चल सकती है इससे लड़ने के लिए राजकोषीय मजबूती बहुत आवश्यक होगी पर सरकार का यह  प्रयास कितना सफल होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।                                 
                  लेखक   
          लाल साहब यादव ,   
        विभागाध्यक्ष - अर्थ शास्त्र विभाग  
    राजा श्रीकृष्ण दत्त पीजी कालेज जौनपुर ।

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