कोरोना से धरती के भगवानों को बचायगा "लाईफ बॉक्स"



जौनपुर। आज कोविड 19 कोरोना वायरस से पूरी दुनिया की मानव जाति अपने को खतरे में  महसूस कर रही है। इस वायरस ने जिन देशों में अपने पांव पसार लिए हैं वहां भी और जहां नहीं पसारे हैं वहां भी, नर-नारी न केवल इस वायरस के प्रसार, संक्रमण और दुष्प्रभाव से भयभीत हैं बल्कि इसके खिलाफ हर क्षण मुकाबला  के लिए तत्पर भी हैं।
तात्कालिक  तौर पर इसका इलाज और दवाएं ना होने के बावजूद  चिकित्सक, चिकित्सकीय प्रबंधन के द्वारा इसका मुकाबला कर  रहा है ।  लेकिन जो चिकित्सक और चिकित्सा कर्मी इस महामारी से सीधे मुकाबला कर रहा है वह खुद अपने आप को असुरक्षित भी महसूस कर रहा है रहा है।
संक्रमित मरीजों की चिकित्सा व सेवा सुश्रुषा के दौरान चिकित्सक  और दूसरे चिकित्साकर्मी  भी स्वयं  संक्रमित होते जा रहे हैं। बड़ी संख्या में चिकित्सकीय स्टाफ के साथ साथ अब तक दर्जनों चिकित्सक इस कोरोना वायरस की जद में आ गए हैं। इतना ही नहीं गुरुवार को चिकित्सा के दौरान संक्रमित हुए ऐसे दो चिकित्सकों की असमय मृत्यु  के दुखद समाचार हैं।
ऐसे में संक्रमित मरीजों के इलाज के दौरान उनके संपर्क में आने वाले चिकित्सकों और स्टाफ को बचाने के लिए कुछ  साधनों की आवश्यकता महसूस की गई ।जिससे  उनके संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके।
कहते हैं 'आवश्यकता आविष्कार की जननी' होती है। कोरोना  संकट के दौरान वायरस की तीव्र संक्रमण क्षमता  से मेडिकल स्टाफ को बचाने के लिए हीरो डी.एम.सी हार्ट सेंटर लुधियाना के   कंसलटेंट एवं आई.एम.ए द्वारा इस वर्ष के प्रतिष्ठित ए.के.एन  सिन्हा अवार्ड से सम्मानित डॉक्टर विवेक गुप्ता ने इसके लिये एक नायब और बहुत  किफायती उपाय सुझाया।
"लाइफ बॉक्स" बनाकर उन्होंने इसका प्रयोग न केवल अपने चिकित्सा संस्थान में शुरू किया बल्कि इस उपकरण के निर्माण एवं प्रयोग का वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया के द्वारा दूसरे संस्थानों और चिकित्सकों को प्रयोग के लिए उप्लब्ध करा दिया। जिसकी चिकित्सा जगत में सर्वत्र प्रशंसा हो रही है। कुल ढाई सौ रुपए कीमत और लगभग आधे घंटे में तैयार हो जाने वाला अत्यंत उपयोगी जीवन रक्षक उपकरण  स्टरलाइज कर  बार-बार प्रयोग भी किया जा सकता है।
डॉ गुप्ता द्वारा जारी किए गए वीडियो में इस उपकरण के निर्माण की विधि के साथ साथ  प्रयोग की विधि भी समझाई गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस उपकरण के प्रयोग से, मरीज  द्वारा उत्पन्न होने वाले  संक्रमण से चिकित्सक एवं चिकित्सकीय टीम को बचाया जा सकेगा। इस संबंध में पूछे जाने पर डॉक्टर विवेक गुप्ता ने बताया कि जब भी हम मरीज  का इलाज अथवा आईसीयू के अंदर उसके साथ किसी तरह का मेडिकल प्रोसीजर करते हैं तो हमें  मरीज के काफी नजदीक होकर उन कार्यों को पूरा करना पड़ता है। इसके साथ साथ मरीज की सेवा सुश्रुषा के दौरान चिकित्सकीय स्टाफ को भी लगातर मरीज के संपर्क में निरंतर रहना पड़ता है। कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज की स्वास से निकलने वाले विषाक्त और अन्य पार्टिकल जिन्हें हम  चिकित्सकीय भाषा में एरोसॉल कहते हैं बड़ी मात्रा में निकलकर हमारे ऊपर दुष्प्रभाव डालते हैं। इस जीवन रक्षक उपकरण के प्रयोग से उन्हें काफी हद तक सीमित किया जा सकता है ।हालांकि चिकित्सक और चिकित्सकों को अपने परंपरागत सुरक्षा उपायों को भी कड़ाई से अपनाना होगा।।
उम्मीद की जानी चाहिए कोरोना मरीजों की इलाज के दौरान प्रयोग किया जाने वाला यह  लाइफ बॉक्स चिकित्सकों और दूसरे चिकित्सा कर्मियों के लिए वरदान साबित होगा।

जानें कौन है डॉक्टर विवेक गुप्ता ?

जौनपुर। कोरोना  से लड़ रही मेडिकल टीम के लिए लाइफ बॉक्स सुझाने वाले ड़ा विवेक गुप्ता जनपद जौनपुर के निवासी है। इनकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा नगर के नगर पालिका इंटर कॉलेज से हुई है। बीआरडी कॉलेज गोरखपुर के चिकित्सा स्नातक एवं एनेस्थीसिया व क्रिटिकल केयर में विशेषज्ञ  संप्रति हीरो डीएमसी हार्ट सेंटर लुधियाना में कंसलटेंट है।
आई एम ए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) ने वर्ष 2018-19का  मानव हित में किए गए अतुलनीय योगदान के लिए चिकित्सकों को दिये जाने वाले  प्रतिष्ठापरक  ए के एन सिन्हा अवार्ड से इन्हे सम्मानित किया है. डॉ गुप्ता को यह सम्मान राष्ट्रीय स्तर पर सीपीआर ट्रेनिंग प्रोग्राम की रूपरेखा तैयार करने और सार्क देशों के साथ-साथ पूरे देश में उस प्रोग्राम को स्थापित करने में किए गए अहम योगदान के लिए दिया गया है।
क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉक्टर विवेक गुप्ता "एकमो"  के अभिनव प्रयोग द्वारा सल्फास पीड़ितों की प्राण रक्षा के लिए चर्चित है। उन्होंने एकमों मशीन के द्वारा सल्फास पीड़ित के इलाज की विधि विकसित की है।

नई चुनौतियां के लिए किफायती और सरल उपकरण जरूरी: डॉक्टर विवेक

जौनपुर ।कोविड  कोरोना वायरस के प्रादुर्भाव के साथ ही चिकित्सा जगत में जबरदस्त बदलाव हो गया है । जिसमें सदियों से चली आ रही चिकित्सा विधि, दवाएं और चिकित्सा शास्त्र लगभग औचित्यहीन हो जाएंगे। इस महामारी ने यह संकेत दिया है कि आने वाले भविष्य में चिकित्सा जगत को ऐसी कई नई चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार होना पड़ेगा। इसके लिए सबसे अहम होगा नई तकनीकी की पर्याप्त दवाओं के साथ साथ सस्ती और पर्याप्त मात्रा में चिकित्सा उपकरणों और संसाधनों की उपलब्धता  सुनिश्चित की जाए। इसी बात को को ध्यान में रखकर किफायती सरल और उपयोगी उपकरण बनाए जाने चाहिए ।यह लाइफ बॉक्स इसी दिशा में पहला कदम है ।जौनपुर समाचार के साथ बातचीत में उन्होंने बताया की पंजाब सरकार के साथ एक प्रोजेक्ट में  किफायती हल्के वेंटिलेटर बनाए जाने की कोशिश जारी है ।जो लगभग अंतिम चरण में हैं ।यदि यह प्रोजेक्ट सफल हुआ तो लगभग सात आठ हजार रुपए में ऐसा वेंटिलेटर उपलब्ध होगा जो मरीज के लिये नियमित प्रयोग के साथ   उसके आवागमन में भी उपयोगी होगा। आने वाले समय में नई, किफायती, बहुउपयोगी, सर्व सुलभ और सरल चिकित्सा के द्वारा ही मानव जाति को निरोग रखा जा सकेगा।

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