हर मुश्किल घड़ी में अहम् भूमिका निभाया है जौनपुर की जनता ने
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जौनपुर। शिक्षा के क्षेत्र में इस जनपद का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यह शिक्षा का बहुत बड़ा केद्र रहा,यहां इराक, अरब, मिश्र, अफगानिस्तान, हेरात, बदख्शां आदि देशो से छात्र शिक्षा प्राप्त करने यहां आते थे। इसे भारतवर्ष का मध्युगीन पेरिस तक कहा गया है और शिराज-ए-हिन्द होने का गौरव भी प्राप्त हैं। शेरशाह सूरी की शिक्षा दीक्षा भी यहां हुई थी। शर्की काल में हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिक सदभाव का अनूठा दिग्दर्शन रहा जो विरासत में आज भी विद्यमान हैं। यहां की सास्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक एकता दुनियां में विख्यात हैं। अंग्रेजी राज्य में स्वतंत्रता के लिए यहां के लोगो ने जो प्राणो की आहुति दी हैं उसके खून के धब्बे आज भी पूरे जनपद से मिटे नही हैं।
शिराज ए हिन्द की सरजमी की जनता ने हमेशा विकट परिस्थितियों में सूझबुझ का परिचय देते हुए देश के लिए अहम योगदान दिया है। अयोध्या मसला हो या एक साथ पड़ने वाले हिन्दू -मुस्लिम त्योेहारो का मामला हो। हर समय दोनो वर्गो के लोगो ने आपसी सहमति से धूमधाम से एक दूसरे का पर्व मनाया है। अब एक बार फिर कोरोना वायरस से जंग जीतने के लिए मुस्लिमो ने माहे रमजान के पावन पर्व पर घर में ही रहकर रोजा नमाज अदा करने का ऐलान किया है। इतना ही नही रोजेदारो ने नमाज में अल्लाह से हिन्दुस्तान समेत पूरी दुनियां को जल्द से जल्द कोरोना वायरस से मुक्त करने की दुआ भी मांगेगें।
शिराज ए हिन्द की सरजमीं पर हमेंशा गंगा जुमनी तहजीब लिखी गयी। जब पूरे देश में अयोध्या मामले को लेकर हिन्दू मुस्लिम तनाव था उस समय एहतेयात के तौर जिले में लगाये कफ्यू में दोनो वर्गो के लोग एक साथ सुनसान सड़को पर चहल कदमी करते दिखाई पड़े थे। करीब दस वर्ष पूर्व होली व ईद मिलादुन्नबी (बारावफात ) का त्योहार एक दिन के अंतराल पर पड़ा था। ऐसे में मुस्लिम समुदाय ने होली दहन के लिए सजावट को टाल दिया था। करीब छह वर्ष पूर्व नवरात्रि व मोहर्रम एक साथ पड़ा था। ताजिया ले जाने के लिए हिन्दुओं ने दुर्गा पण्डाल के स्वरूप को छोटा कर दिया था। ऐसा मिशाल एक नही सैकड़ो बार यहां की जनता पेश करके पूरे देश में जिले की अलग छवि बनाया है।
इस बार कोरोना वायरस की जंग जीनते के लिए जहां हिन्दुओं ने नवरात्रि में घर में रहकर मातारानी की आराधना किया वही मुस्लिम समुदाय भी माहे रमजान के महीने में घरो में रहकर रोजेदार नमाज अदा करेेगे तथा तरावीह पढ़ेगें।
उलेमाए दीन की मानें तो रमजान का पाक महीना इस बार हमें पूरे एहतियात के साथ मनाना है। मस्जिदों और दावते इफ्तार की भीड़ से परहेज की जरूरत है। सरकार के आदेश के अनुसार लॉकडाउन का पालन भी करना है। वहीं जिला प्रशासन ने रोजेदारों को लॉकडाउन की परेशानी से बचाने के लिए काफी इंतजाम कर रखे हैं। घर-घर तक फल, सब्जी, ब्रेड और खजूर आदि पहुंचे, इसके भी पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं। पेश इमाम अलहाज मौलाना जफर अहमद सिद्दीकी ने आह्वान किया है कि कोरोना से पूरी दुनिया में तबाही मची हुई है। इस बार का रमजान पूरी सावधानी के साथ पूरा किए जाने की जरूरत है। सभी की जिम्मेदारी है कि लॉकडाउन और कोरोना से बचने के लिए सरकार की तरफ से जारी आदेशों का पालन करें। नमाज और तरावीह के लिए मस्जिद में आने की जरूरत नहीं है। घर में ही परिवार के सदस्यों के साथ इसको पूरा करें। इफ्तार पार्टी का न तो आयोजन करें न ही हिस्सा बनकर भीड़ खड़ी करें। खुद भी महफूज रहें और दूसरों को भी रहने दें।
शिराज ए हिन्द की सरजमी की जनता ने हमेशा विकट परिस्थितियों में सूझबुझ का परिचय देते हुए देश के लिए अहम योगदान दिया है। अयोध्या मसला हो या एक साथ पड़ने वाले हिन्दू -मुस्लिम त्योेहारो का मामला हो। हर समय दोनो वर्गो के लोगो ने आपसी सहमति से धूमधाम से एक दूसरे का पर्व मनाया है। अब एक बार फिर कोरोना वायरस से जंग जीतने के लिए मुस्लिमो ने माहे रमजान के पावन पर्व पर घर में ही रहकर रोजा नमाज अदा करने का ऐलान किया है। इतना ही नही रोजेदारो ने नमाज में अल्लाह से हिन्दुस्तान समेत पूरी दुनियां को जल्द से जल्द कोरोना वायरस से मुक्त करने की दुआ भी मांगेगें।
शिराज ए हिन्द की सरजमीं पर हमेंशा गंगा जुमनी तहजीब लिखी गयी। जब पूरे देश में अयोध्या मामले को लेकर हिन्दू मुस्लिम तनाव था उस समय एहतेयात के तौर जिले में लगाये कफ्यू में दोनो वर्गो के लोग एक साथ सुनसान सड़को पर चहल कदमी करते दिखाई पड़े थे। करीब दस वर्ष पूर्व होली व ईद मिलादुन्नबी (बारावफात ) का त्योहार एक दिन के अंतराल पर पड़ा था। ऐसे में मुस्लिम समुदाय ने होली दहन के लिए सजावट को टाल दिया था। करीब छह वर्ष पूर्व नवरात्रि व मोहर्रम एक साथ पड़ा था। ताजिया ले जाने के लिए हिन्दुओं ने दुर्गा पण्डाल के स्वरूप को छोटा कर दिया था। ऐसा मिशाल एक नही सैकड़ो बार यहां की जनता पेश करके पूरे देश में जिले की अलग छवि बनाया है।
इस बार कोरोना वायरस की जंग जीनते के लिए जहां हिन्दुओं ने नवरात्रि में घर में रहकर मातारानी की आराधना किया वही मुस्लिम समुदाय भी माहे रमजान के महीने में घरो में रहकर रोजेदार नमाज अदा करेेगे तथा तरावीह पढ़ेगें।
उलेमाए दीन की मानें तो रमजान का पाक महीना इस बार हमें पूरे एहतियात के साथ मनाना है। मस्जिदों और दावते इफ्तार की भीड़ से परहेज की जरूरत है। सरकार के आदेश के अनुसार लॉकडाउन का पालन भी करना है। वहीं जिला प्रशासन ने रोजेदारों को लॉकडाउन की परेशानी से बचाने के लिए काफी इंतजाम कर रखे हैं। घर-घर तक फल, सब्जी, ब्रेड और खजूर आदि पहुंचे, इसके भी पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं। पेश इमाम अलहाज मौलाना जफर अहमद सिद्दीकी ने आह्वान किया है कि कोरोना से पूरी दुनिया में तबाही मची हुई है। इस बार का रमजान पूरी सावधानी के साथ पूरा किए जाने की जरूरत है। सभी की जिम्मेदारी है कि लॉकडाउन और कोरोना से बचने के लिए सरकार की तरफ से जारी आदेशों का पालन करें। नमाज और तरावीह के लिए मस्जिद में आने की जरूरत नहीं है। घर में ही परिवार के सदस्यों के साथ इसको पूरा करें। इफ्तार पार्टी का न तो आयोजन करें न ही हिस्सा बनकर भीड़ खड़ी करें। खुद भी महफूज रहें और दूसरों को भी रहने दें।