महिला दिवस के मौके पर महिलाओ ने निराश्रित बुजुर्गो के साथ किया सहभोज
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जौनपुर। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर मानव सेव संस्था की महिला शाखा द्वारा वृध्दा आश्रम में रह रहे निराश्रित बुजुर्गो के साथ सहभोज का आयोजन किया तथा एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि नगर पालिका अध्यक्ष माया टण्डन रही तथा विशिष्ट अतिथि भाजपा की जिला उपाध्यक्ष किरन श्रीवास्तव रही।
गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए माया टण्डन ने कहा कि दरअसल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक मज़दूर आंदोलन से उपजा है. इसका बीजारोपण साल 1908 में हुआ था जब 15 हज़ार औरतों ने न्यूयॉर्क शहर में मार्च निकालकर नौकरी में कम घंटों की मांग की थी. इसके अलावा उनकी मांग थी कि उन्हें बेहतर वेतन दिया जाए और मतदान करने का अधिकार भी दिया जाए. एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ अमरीका ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया।
किरन श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है- 'यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। किंतु वर्तमान में जो हालात दिखाई देते हैं, उसमें नारी का हर जगह अपमान होता चला जा रहा है। उसे 'भोग की वस्तु' समझकर आदमी 'अपने तरीके' से 'इस्तेमाल' कर रहा है। यह बेहद चिंताजनक बात है। लेकिन हमारी संस्कृति को बनाए रखते हुए नारी का सम्मान कैसे किय जाए, इस पर विचार करना आवश्यक है। मां अर्थात माता के रूप में नारी, धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में है। माता यानी जननी। मां को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है, क्योंकि ईश्वर की जन्मदात्री भी नारी ही रही है। मां देवकी (कृष्ण) तथा मां पार्वती (गणपति/ कार्तिकेय) के संदर्भ में हम देख सकते हैं इसे। किंतु बदलते समय के हिसाब से संतानों ने अपनी मां को महत्व देना कम कर दिया है। यह चिंताजनक पहलू है। सब धन-लिप्सा व अपने स्वार्थ में डूबते जा रहे हैं। परंतु जन्म देने वाली माता के रूप में नारी का सम्मान अनिवार्य रूप से होना चाहिए, जो वर्तमान में कम हो गया है, यह सवाल आजकल यक्षप्रश्न की तरह चहुंओर पांव पसारता जा रहा है। इस बारे में नई पीढ़ी को आत्मावलोकन करना चाहिए।
इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष मानव सेवा संस्था उ.प्र. प्रीती सिंह ने जौनपुर जिला इकाई की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज हमारी संस्था ने बेसहारा बुजुर्गो के साथ महिला दिवस मनाया है यह बहुत ही सराहनीय है हम लोगो का हमेशा प्रयास होना चाहिए कि गरीबो , मजलूमों की इसी तरह सेवा करके समाज में एक नई पेश किया जाय।
संस्था की अध्यक्ष उर्वशी सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आजकल की लड़कियों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि ये लड़कियां आजकल बहुत बाजी मार रही हैं। इन्हें हर क्षेत्र में हम आगे बढ़ते हुए देखा जा सकता है । विभिन्न परीक्षाओं की मेरिट लिस्ट में लड़कियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं। किसी समय इन्हें कमजोर समझा जाता था, किंतु इन्होंने अपनी मेहनत और मेधा शक्ति के बल पर हर क्षेत्र में प्रवीणता अर्जित कर ली है। इनकी इस प्रतिभा का सम्मान किया जाना चाहिए।
इस मौके पर समाजसेविका श्रीमती राधिका सिंह, जिला संयोजक सन्नो सिंह,अंजना सिंह,साधना सिंह,अर्चना सिंह,मीना सिंह,ब्रम्हयज्ञ मिश्र,शिवम दूबे, नवोदित कलाकार अतुलिका सिंह, युवराज सिंह आदि उपस्थित रहें।
गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए माया टण्डन ने कहा कि दरअसल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक मज़दूर आंदोलन से उपजा है. इसका बीजारोपण साल 1908 में हुआ था जब 15 हज़ार औरतों ने न्यूयॉर्क शहर में मार्च निकालकर नौकरी में कम घंटों की मांग की थी. इसके अलावा उनकी मांग थी कि उन्हें बेहतर वेतन दिया जाए और मतदान करने का अधिकार भी दिया जाए. एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ अमरीका ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया।
किरन श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है- 'यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। किंतु वर्तमान में जो हालात दिखाई देते हैं, उसमें नारी का हर जगह अपमान होता चला जा रहा है। उसे 'भोग की वस्तु' समझकर आदमी 'अपने तरीके' से 'इस्तेमाल' कर रहा है। यह बेहद चिंताजनक बात है। लेकिन हमारी संस्कृति को बनाए रखते हुए नारी का सम्मान कैसे किय जाए, इस पर विचार करना आवश्यक है। मां अर्थात माता के रूप में नारी, धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में है। माता यानी जननी। मां को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है, क्योंकि ईश्वर की जन्मदात्री भी नारी ही रही है। मां देवकी (कृष्ण) तथा मां पार्वती (गणपति/ कार्तिकेय) के संदर्भ में हम देख सकते हैं इसे। किंतु बदलते समय के हिसाब से संतानों ने अपनी मां को महत्व देना कम कर दिया है। यह चिंताजनक पहलू है। सब धन-लिप्सा व अपने स्वार्थ में डूबते जा रहे हैं। परंतु जन्म देने वाली माता के रूप में नारी का सम्मान अनिवार्य रूप से होना चाहिए, जो वर्तमान में कम हो गया है, यह सवाल आजकल यक्षप्रश्न की तरह चहुंओर पांव पसारता जा रहा है। इस बारे में नई पीढ़ी को आत्मावलोकन करना चाहिए।
इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष मानव सेवा संस्था उ.प्र. प्रीती सिंह ने जौनपुर जिला इकाई की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज हमारी संस्था ने बेसहारा बुजुर्गो के साथ महिला दिवस मनाया है यह बहुत ही सराहनीय है हम लोगो का हमेशा प्रयास होना चाहिए कि गरीबो , मजलूमों की इसी तरह सेवा करके समाज में एक नई पेश किया जाय।
संस्था की अध्यक्ष उर्वशी सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आजकल की लड़कियों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि ये लड़कियां आजकल बहुत बाजी मार रही हैं। इन्हें हर क्षेत्र में हम आगे बढ़ते हुए देखा जा सकता है । विभिन्न परीक्षाओं की मेरिट लिस्ट में लड़कियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं। किसी समय इन्हें कमजोर समझा जाता था, किंतु इन्होंने अपनी मेहनत और मेधा शक्ति के बल पर हर क्षेत्र में प्रवीणता अर्जित कर ली है। इनकी इस प्रतिभा का सम्मान किया जाना चाहिए।
इस मौके पर समाजसेविका श्रीमती राधिका सिंह, जिला संयोजक सन्नो सिंह,अंजना सिंह,साधना सिंह,अर्चना सिंह,मीना सिंह,ब्रम्हयज्ञ मिश्र,शिवम दूबे, नवोदित कलाकार अतुलिका सिंह, युवराज सिंह आदि उपस्थित रहें।