आरोपित दोषमुक्त, पुलिस कर्मियों पर केश दर्ज
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जौनपुर। नंबर प्लेट बदलकर गाड़ी चलाने, धोखाधड़ी व जालसाजी का आरोप लगाते गाड़ी बरामदगी दिखाते हुए पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में आरोपित को दोषमुक्त कर दिया।
छूटने के बाद आरोपित ने तत्कालीन थानाध्यक्ष समेत तीन पुलिस कर्मियों के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण तरीके से मिथ्या साक्ष्य गढ़ने व धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए मुकदमा कोर्ट में दायर किया। सीजेएम ने पुलिस कर्मियों के खिलाफ वाद दर्जकर लिया है। रमेश चंद्र दुबे निवासी भूसौला भीखमपुर ने कोर्ट में तत्कालीन थानाध्यक्ष लालजी यादव समेत तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दायर किया। कहा कि 24 अक्टूबर 2008 को पुलिस ने उसे फर्जी ढंग से गिरफ्तार किया। उसके पास से एक कमांडर जीप की बरामदगी दिखाई। इसके बाद एक अन्य वाहन भी बरामद करना दिखाया। इसके बाद वादी व अजब बहादुर के खिलाफ धोखाधड़ी व चोरी की गाड़ी बरामदगी की धाराओं में मुकदमा दर्जकर जेल भेजा। वादी जमानत पर रिहा हुआ। पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल कर दी। कोर्ट में पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज हुआ। जेएम प्रथम ने 18 सितंबर 2018 को वादी के खिलाफ कोई साक्ष्य न पाते हुए दोषमुक्त कर दिया। पुलिसकर्मियों द्वारा घटना के दिन को उसके पास से जिस कमांडर जीप की बरामदगी दिखाया उसका वास्तविक नंबर दूसरा और उसका मालिक अरुण कुमार दुबे थे। गलत ढंग से पुलिसकर्मियों ने वाहन पर लगा नंबर प्लेट दिखाते हुए चालान और मुकदमा दर्ज किया। वहीं जीप को अरुण कुमार दुबे ने रिलीज कराया। पुलिसकर्मियों ने दूषित भावना से मिथ्या साक्ष्य गढ़ा और वादी को दंडित करवाने के लिए विचारण न्यायालय के समक्ष गलत दस्तावेज दाखिल किया।
छूटने के बाद आरोपित ने तत्कालीन थानाध्यक्ष समेत तीन पुलिस कर्मियों के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण तरीके से मिथ्या साक्ष्य गढ़ने व धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए मुकदमा कोर्ट में दायर किया। सीजेएम ने पुलिस कर्मियों के खिलाफ वाद दर्जकर लिया है। रमेश चंद्र दुबे निवासी भूसौला भीखमपुर ने कोर्ट में तत्कालीन थानाध्यक्ष लालजी यादव समेत तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दायर किया। कहा कि 24 अक्टूबर 2008 को पुलिस ने उसे फर्जी ढंग से गिरफ्तार किया। उसके पास से एक कमांडर जीप की बरामदगी दिखाई। इसके बाद एक अन्य वाहन भी बरामद करना दिखाया। इसके बाद वादी व अजब बहादुर के खिलाफ धोखाधड़ी व चोरी की गाड़ी बरामदगी की धाराओं में मुकदमा दर्जकर जेल भेजा। वादी जमानत पर रिहा हुआ। पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल कर दी। कोर्ट में पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज हुआ। जेएम प्रथम ने 18 सितंबर 2018 को वादी के खिलाफ कोई साक्ष्य न पाते हुए दोषमुक्त कर दिया। पुलिसकर्मियों द्वारा घटना के दिन को उसके पास से जिस कमांडर जीप की बरामदगी दिखाया उसका वास्तविक नंबर दूसरा और उसका मालिक अरुण कुमार दुबे थे। गलत ढंग से पुलिसकर्मियों ने वाहन पर लगा नंबर प्लेट दिखाते हुए चालान और मुकदमा दर्ज किया। वहीं जीप को अरुण कुमार दुबे ने रिलीज कराया। पुलिसकर्मियों ने दूषित भावना से मिथ्या साक्ष्य गढ़ा और वादी को दंडित करवाने के लिए विचारण न्यायालय के समक्ष गलत दस्तावेज दाखिल किया।