ई रिक्शा में होगा लिथियम बैटरी का प्रयोग
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जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजेंद्र सिंह भौतिकी विज्ञान संस्थान के आर्यभट सभागार में इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कंप्यूटर विज्ञान इंजीनियरिंग के नव प्रवृत्तियों विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के अंतिम दिन विशेष व्याख्यान में विशेषज्ञों ने इंजिनीयरिंग के विविध आयामों पर गंभीर मंथन किया। इलेक्ट्रॉनिक वाहन एवं चार्जिंग विषय पर बोलते हुए आईआईटी कानपुर के प्रो० भीम सिंह ने कहा कि आज के समय ढाई करोड़ से अधिक इलेक्ट्रॉनिक वाहन भारत में है। प्रतिवर्ष 50 लाख वाहन बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि ई रिक्शा के अधिकतर भाग भारत में निर्मित हो रहे हैं सिर्फ मोटर और कंट्रोलर चीन से आ रहे हैं। ई रिक्शा में लिथियम आयन बैटरी का प्रयोग किया जाएगा तो वह जल्दी चार्ज हो जाएंगे और उनका एक दिन में अधिक प्रयोग किया जा सकेगा. आज के समय में लिथियम आयन बैटरी की कीमत अधिक होने के कारण ई रिक्शा में इसका प्रयोग नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में तेज स्पीड वाले दुपहिया वाहन बाजार में आएंगे और इनकी मांग बढ़ेगी। प्राचीन भारत में विज्ञान और प्रोद्योगिकी की स्थिति विषय पर आई आई टी रूनकी के प्रोफेसर जगदीश राय ने कहा कि प्राचीन भारत में हर क्षेत्र में उच्च स्तरीय शोध हुआ है. आर्यभट ने पांचवीं शताब्दी में ग्रहों का सूर्य के चारों तरफ घूमना और परिधि को बताया था. 1771 में पैदा हुए कैपलर को हम इसका श्रेय देते है। आर्यभट पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पृथ्वी की परिधि और त्रिज्या को एकदम सही बताया था। उन्होंने शून्य का ज्ञान हमें दिया और दशमलव प्रणाली बताई। उन्होंने कहा कि ईसा से 600 वर्ष पूर्व कणाद ऋषि ने अणु सिद्धांत का प्रतिपादन किया था लेकिन दुर्भाग्य यह है कि 17 वीं शताब्दी के डाल्टन को हम इसका श्रेय देते है. हमें अपनी भारतीय संस्कृति को और ज्ञान को समझने और बताने की जरूरत है। अगले व्याख्यान में इंटेलीजेंट रोबोट विषय पर अपनी बात रखते हुए आईआईआई टी इलाहाबाद के प्रो जी सी नंदी ने कहा कि दिव्यांग एवं मंदबुद्धि के लोगों के लिए रोबोटिक्स महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स के विविध आयामों पर विस्तारपूर्वक अपनी बात रखी। इंटीग्रा माइक्रो सिस्टम बंगलौर के उपाध्यक्ष अनिमेश बिसारिया ने सूचना प्रोद्योगिकी उद्योग में नव प्रवृतियाँ विषय पर पर अपनी बात रखी. कहा कि रोबोट आने वाले समय में मानव का विकल्प होंगे अगली पीढ़ी को इसे हमसफर बनाना होगा. उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों एवं कारपोरेट के बीच की दूरी को कम करना चाहिए। विद्यार्थियों को परंपरागत नजरिया छोड़कर क्रिएटिव दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। इंजीनियर्स को आज कम लागत की तकनीकी बनाने की जरूरत है। भारत संचार निगम लिमिटेड के पुर्व सीएमडी आर के उपाध्याय ने अगली पीढ़ी के वायरलेस संचार 5 जी विषय पर आयोजित अपने व्याख्यान में कहा कि 5 जी मोबाइल टेक्नोलॉजी हाई स्पीड, हाइट कैपिसिटी और अत्यंत कम लेटेंसी प्रदान करती है. 5 जी के प्रयोग से बहुत सारे उद्योगों में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय हिसार के प्रो० देवेन्द्र मोहन ने कहा कि प्रकाश की गति इलेक्ट्रान की गति से ज्यादा है इसलिए प्रकाशित स्विच का निर्माण ऑप्टिकल कंप्यूटिंग में काफी महत्वपूर्ण है इससे हाई स्पीड कंप्यूटर बनेंगे और इंटरनेट से तेज गति से डाटा डाउनलोड होगा। आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर अनिल त्रिपाठी ने कहा कि दैनिक जीवन के सभी आयामों में संगणक विज्ञान के विनियोग से विभिन्न क्षेत्रों का पुनः परिभाषण हो रहा है. तत्संबंधी चिंताओं और चुनौतियों के उचित समायोजन हेतु संगणक विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के शोध विषयों का भी पुनः परिभाषण हुआ है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम और वर्तमान की झलक विषय पर इसरो बंगलोर के अमित कुमार सिंह ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम इंसानों के जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष मिशन, चंद्रयान दो मार्स आर्बिटर मिशन एवं ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम के बारे में बताया। सम्मलेन में इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कंप्यूटर विज्ञान इंजीनियरिंग के नव प्रवृत्तियों पर विद्वानों ने गंभीर चर्चा की. यह सम्मेलन पीईएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग मांड्या कर्नाटका, आई यू एफ ई आर चेन्नई एवं वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ. सम्मलेन के अध्यक्ष प्रो० बी बी तिवारी ने अतिथि विशेषज्ञों का स्वागत किया संचालन फार्मेसी संस्थान की शिक्षिका डॉ0 झाँसी मिश्रा ने किया।