तीन हत्या के वारदातों का खुलासा नहीं कर सकी पुलिस

जौनपुर।  वर्ष 2018 में छह महीने के भीतर हुई हत्या की तीन सनसनीखेज वारदातों का खुलासा आजतक नहीं हो सका है। इससे पुलिस की कार्य प्रणाली पर उंगली उठना लाजिमी है। कहते हैं अपराधी कितना ही चालाक क्यों न हो पर हर वारदात के पीछे ऐसा कोई न कोई ऐसा सुराग जरूर छोड़ जाता है जिससे कानून के हाथ उसके गिरेबां तक पहुंच जाते हैं। तीनों वारदातें में अब तक की कार्रवाई इससे जुदा है। ये घटनाएं इसका सुबूत हैं कि या तो कातिल इतने शातिर दिमाग थे कि पुलिस उनके आगे फेल हो गई या फिर पुलिस ने रहस्यों पर पड़े परदे उठाने में उतनी दिलचस्पी नहीं ली जितनी लेनी चाहिए थी। मृतकों में महिला और युवक की तो आजतक शिनाख्त भी नहीं हो सकी। अब तो लगता है कि पुलिस ने भी इन मामलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है और कातिल अब कानून की गिरफ्त में आएंगे भी नहीं।  गौराबादशाहपुर थाना क्षेत्र के चोरसंड इकरामगंज गांव में 15 अप्रैल को करीब 30 वर्षीय महिला की हत्या कर कंबल में लपेटकर फेंका गया शव मिला था। हत्या काले रंग के दुपट्टे से गला घोंटकर की गई थी। मौके पर पहुंची पुलिस को ग्रामीणों ने बताया था कि रात करीब एक बजे कार से कातिल शव फेंक कर भागे थे। पूरे 21 महीने गुजर चुके हैं। मृतका की पहचान ही नहीं हो सकी, कातिलों को पकड़ना तो दूर की बात है। पुलिस का कहना है कि विवेचना की जा रही है। अब तक ऐसा कोई भी क्लू नहीं मिल सका है जिससे अपराधी पकड़े जा सकें।  16 मई की रात लाइन बाजार थाना क्षेत्र के सीहीपुर गांव में जौनपुर-रायबरेली राष्ट्रीय राज्यमार्ग के किनारे मंदिर के पीछे झाड़ी में हत्या कर युवक का अधजला शव फेंका मिला था। शरीर पर मौजूद कपड़े भी जल गये थे। 20 महीने से बीत जाने के बाद भी कातिल पकड़ से दूर हैं। पुलिस का कहना है कि हरसंभव कोशिश की गई लेकिन मृत युवक की पहचान नहीं हो सकी। मौके पर मिले आधार कार्ड के टुकड़े में आधा नंबर ही था। पूरी कोशिश की गई कि उसी से कुछ सुराग मिल जाए लेकिन पूरा नंबर जेनरेट नहीं हो सका। अभी विवेचना चल रही है। ज्ञात हो कि शहर कोतवाली से महज दो सौ मीटर की दूरी पर ख्वाजगीटोला में लबे सड़क स्थित बीयर की लाइसेंसी दुकान के पड़ोसी जिले आजमगढ़ के निवासी सेल्समैन ध््राुवनाथ यादव (42) की बंद दुकान में ही 24 अक्टूबर की रात में हथौड़ी से सिर कूंचकर हत्या कर दी गई थी। करीब 15 माह बीत जाने के बाद भी पुलिस हत्यारों को पकड़ नहीं सकी है। शुरुआती छानबीन में जल्द ही कातिलों को पकड़ लेने का दावा करने वाले तत्कालीन कोतवाल विनय प्रकाश का तबादला भी हो गया। ताज्जुब तो इस बात का है कि घटनास्थल के आस-पास के कई प्रतिष्ठानों के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज से भी पुलिस आज तक हत्यारों को चिह्नित नहीं कर पाई है।

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