देखिए अनोखी पूजा, पूजारी कभी करता है खौलते दूध से स्नान,कभी पूरा सिर डाल देता है दहकते हवन कुण्ड में
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जौनपुर। जिले के सिरकोनी ब्लाक के बदलपुर गांव में एक अनोखी पूजा हुई। इस धार्मिक अनुष्ठान में पुजारी ने ऐसी पूजा किया जिसे देखकर आम लोग तो दहल जाते लेकिन इस अनुष्ठान के पराम्परागत श्रध्दालु पूरी आस्था और विश्वास के साथ पूजन अर्चन किया। पूजारी कभी खौलते दूध को हाथ से निकालकर श्रध्दालुओं को ऊपर फेक रहा था तो कभी खौलते दूध से स्नान कर रहा था इतना ही नही पुजारी ने अपना पूरा सिर हवन कुण्ड में डाल दिया उसके बाद भी उसका कोई बालबाका नही हुआ। इस दरम्यान भक्त मातारानी के जयकारे लगाते रहे। पूजा के बीच में ही यजमान के दो नन्हे मुन्ने बच्चो का हाथ भी खौलते दूध में पूजारी ने डाल दिया बच्चे करीब एक मिनट तक अपना हाथ दूध में डाले रखा,खौलते दूध में बच्चो को बर्फ पर हाथ रखने की अनुभूति हुई।
द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा शुरू की गयी कालीदास की पूजा आज भी पूर्वाचंल के जनपदो में यादव समाज द्वारा किया जा रहा है। इस पूजा की शुरूआत से लेकर अंत कई बार पूजारी अग्नि परीक्षा देता रहता है। एक तरफ बड़े हवन कुण्ड में पांच यजमान दशांग डालते है तो पूजारी गर्म घी अपने हाथो से डालता है। बीच बीच में तीन घड़े में खौलते हुए दूध को हाथ से निकालकर अपनी लाठी में लगाता है तो कभी कभी खौलते दूध को श्रध्दालुलओं को ऊपर उछाल देता है। पूजा के दरम्यान कई बार उसी गर्म दूध से स्थान भी करता है। सबसे हैरान कर देने वाला दृश्य उस समय देखने को मिला जब पुजारी ने अपना पूरा सिर दहकते हवन कुण्ड में डाल दिया। उस समय सभी श्रध्दालु मातारानी के जय जयकार करने लगे। पूजारी ने बताया कि यह पूजा समाज,वातारण,पशु पक्षी के सुख समृध्दि और वायु प्रदूषण को संतुलित करने के लिए किया जाता है। खौलते दूध में हाथ डालना,स्नान करना और हवन कुण्ड में पूरा सिर डालने के बाद भी वह पूरी सुरक्षित रहने के सवाल पर बताया कि यह मातारानी की कृपा है।
पूजा समाप्त होने कुछ मिनट पहले पूजारी ने आयोजक के दो मासूम बेटो का हाथ खौलते दूध में डाल दिया। करीब एक मिनट बच्चो का हाथ खौलते दूध के अंदर था इसके बाद भी बच्चे सामान्य मुद्रा में ही रहे। बच्चो ने बताया कि उस समय उन्हे किसी बर्फ पर हाथ रखने की अनुभूति हुई।
इस कार्यक्रम के
आयोजक सुभाष यदुवंशी उर्फ रंगा रहे ,डॉ.ब्रजेश कुमार यदुवंशी,अमरदेव यादव,सुनील कुमार,विपिन उर्फ रवि,हरिलाल,महेन्द्र,राजकुमार,अमरनाथ,गौतम समेत भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा शुरू की गयी कालीदास की पूजा आज भी पूर्वाचंल के जनपदो में यादव समाज द्वारा किया जा रहा है। इस पूजा की शुरूआत से लेकर अंत कई बार पूजारी अग्नि परीक्षा देता रहता है। एक तरफ बड़े हवन कुण्ड में पांच यजमान दशांग डालते है तो पूजारी गर्म घी अपने हाथो से डालता है। बीच बीच में तीन घड़े में खौलते हुए दूध को हाथ से निकालकर अपनी लाठी में लगाता है तो कभी कभी खौलते दूध को श्रध्दालुलओं को ऊपर उछाल देता है। पूजा के दरम्यान कई बार उसी गर्म दूध से स्थान भी करता है। सबसे हैरान कर देने वाला दृश्य उस समय देखने को मिला जब पुजारी ने अपना पूरा सिर दहकते हवन कुण्ड में डाल दिया। उस समय सभी श्रध्दालु मातारानी के जय जयकार करने लगे। पूजारी ने बताया कि यह पूजा समाज,वातारण,पशु पक्षी के सुख समृध्दि और वायु प्रदूषण को संतुलित करने के लिए किया जाता है। खौलते दूध में हाथ डालना,स्नान करना और हवन कुण्ड में पूरा सिर डालने के बाद भी वह पूरी सुरक्षित रहने के सवाल पर बताया कि यह मातारानी की कृपा है।
पूजा समाप्त होने कुछ मिनट पहले पूजारी ने आयोजक के दो मासूम बेटो का हाथ खौलते दूध में डाल दिया। करीब एक मिनट बच्चो का हाथ खौलते दूध के अंदर था इसके बाद भी बच्चे सामान्य मुद्रा में ही रहे। बच्चो ने बताया कि उस समय उन्हे किसी बर्फ पर हाथ रखने की अनुभूति हुई।
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