आस्था के साथ मनायी गयी प्रबोधिनी एकादशी
https://www.shirazehind.com/2019/11/blog-post_579.html
जौनपुर। प्रबोधिनी एकादशी के पर्व पर ष्षुक्रवार को जगह-जगह तुलसी विवाह का आयोजन किया गया। इसके साथ ही भगवान विष्णु को गन्ना, कन्दा और सिघाड़ा चढ़ाकर विधिवत पूजा की गई। भगवान विष्णु आज के ही दिन से क्षीर सागर में जाग गए और अब शुभ कार्य विवाह-शादी आदि भी शुरू करने का मुहूर्त प्रारंभ हो गया। विभिन्न मंदिरों और मठों के साथ ही महिलाओं ने अपने घरों में गन्ने का मंडप बनाया। वहां विधिवत तुलसी विवाह का आयोजन कर मंगल गीत तो गाये ही मंत्रोच्चारण कर सुमंगल की मनौती मांगी। उधर किसानों ने भी गन्ने के खेत से थान काटकर अपने घर ले गये और विधिवत पूजा की। आज से नए गुड़ का भी उपयोग शुरू कर दिया गया। गांवों में लोगों ने बड़ों को परंपरागत ढंग पांव छूकर आशीर्वाद लिया। जिन लोगों ने दीपावली के अवसर पर दीपोत्सव नहीं मनाया था, उन्होंने आज मनाई। अट्टालिकाएं सजीं और भगवान तथा मां लक्ष्मी और गणेश को विधिवत व्यंजन चढ़ाए गए। इस पर्व को लेकर लोगों में विशेष उत्साह देखा गया। प्रबोधिनी एकादशी पर किसानों ने खेत में गन्ने की गांठ बांधकर जल, अक्षत, फूल, आभूषण आदि से भगवान विष्णु का विधि-विधान से पूजन किया। गांवों में जगह-जगह सत्य नारायण कथा, राम चरित मानस पाठ का भी आयोजन किया गया। इस मौके पर देव दीपावली होने के नाते लोगों ने अपने घरों को सजाया। ग्रामीण क्षेत्रो में किसानों द्वारा खेतों में पूजा की गई व खेतों में दीपक रखा गया। ज्ञात हो कि शास्त्रों में इस एकादशी का बड़ा ही महत्व है। आज के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत शुरू हो जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु 4 माह के शयनकाल के बाद आज जगते है। वहीं विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने शंखासुर नामक भयंकर राक्षस का वध किया था। फिर आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को क्षीर सागर में शेषनाग की शय्या पर भगवान विष्णु ने शयन किया। फिर चार माह की निद्रा के बाद आज के दिन जागते है। प्रबोधिनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह कराने की भी परंपरा है ।आज के दिन शालीग्राम और तुलसी का विवाह कराया जाता है । कहते हैं कि जो कोई भी ये शुभ कार्य करता है, उनके घर में जल्द ही शादी की शहनाई बजती है और पारिवारिक जीवन सुख से बीतता है । तुलसी और शालीग्राम के विवाह का आयोजन ठीक उसी प्रकार से किया जाता है, जैसे कि कन्या के विवाह में किया जाता है ।