पड़ोसियों के हमले में युवक की हुई मौत
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जौनपुर। मुंगराबादशाहपुर थाना क्षेत्र के गौरैयाडीह गांव में बुधवार की दोपहर मामूली
विवाद में पड़ोसियों के हमले में युवक की हुई मौत से दो मासूम बच्चों के सिर
से पिता का साया उठ गया। इस दौरान बूढ़ी मां बेसहारा हो गई। परिजनों में
कोहराम मचा हुआ है।
उक्त गांव निवासी संदीप पांडेय (35) की घर से करीब आधा किलोमीटर दूर पाही है। वहीं पर वह आटा चक्की चलाता था। दोपहर में संदीप आटा चक्की चलाने गया था। बगीचे में कैंथ तोड़ने से मना करने पर पड़ोसी परिवार से विवाद हो गया। इसी से पड़ोसियों को गुस्सा आ गया। आरोप है कि वे चार की संख्या में पहुंचे और हमलाकर संदीप पांडेय को अधमरा कर दिया। परिजन उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। डाक्टरों ने गर्दन की हड्डी टूट जाने के कारण हालत नाजुक देखते हुए जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जिला अस्पताल से डाक्टरों की सलाह पर परिजन वाराणसी ले जा रहे थे कि रास्ते में उसने दम तोड़ दिया। मौत की खबर आते ही घर में कोहराम मच गया। बूढ़ी मां शांति देवी और पत्नी शशिकला दहाड़ मारकर रोने लगीं। उनकी आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। संदीप की मौत से उसके दो मासूम बच्चों आठ वर्षीय पुत्र देवांश व छह वर्षीय बेटी गुंजन के सिर से हमेशा के लिए पिता का साया छिन गया। शांति देवी के पांच बेटों में तीसरे नंबर का संदीप पांडेय गांव में ही घर पर रहकर मां व परिवार की देखरेख करता था। अन्य भाई रोजी-रोटी कमाने की गरज से परदेस रहते हैं।
उक्त गांव निवासी संदीप पांडेय (35) की घर से करीब आधा किलोमीटर दूर पाही है। वहीं पर वह आटा चक्की चलाता था। दोपहर में संदीप आटा चक्की चलाने गया था। बगीचे में कैंथ तोड़ने से मना करने पर पड़ोसी परिवार से विवाद हो गया। इसी से पड़ोसियों को गुस्सा आ गया। आरोप है कि वे चार की संख्या में पहुंचे और हमलाकर संदीप पांडेय को अधमरा कर दिया। परिजन उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। डाक्टरों ने गर्दन की हड्डी टूट जाने के कारण हालत नाजुक देखते हुए जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जिला अस्पताल से डाक्टरों की सलाह पर परिजन वाराणसी ले जा रहे थे कि रास्ते में उसने दम तोड़ दिया। मौत की खबर आते ही घर में कोहराम मच गया। बूढ़ी मां शांति देवी और पत्नी शशिकला दहाड़ मारकर रोने लगीं। उनकी आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। संदीप की मौत से उसके दो मासूम बच्चों आठ वर्षीय पुत्र देवांश व छह वर्षीय बेटी गुंजन के सिर से हमेशा के लिए पिता का साया छिन गया। शांति देवी के पांच बेटों में तीसरे नंबर का संदीप पांडेय गांव में ही घर पर रहकर मां व परिवार की देखरेख करता था। अन्य भाई रोजी-रोटी कमाने की गरज से परदेस रहते हैं।