सांस्कृतिक संध्या में ठुमरी और महारास नृत्य ने बांधा समा
https://www.shirazehind.com/2019/10/blog-post_9.html
जौनपुर।
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के महंत अवैद्यनाथ संगोष्ठी भवन
में स्थापना सप्ताह के तहत मंगलवार को आयोजित सांस्कृतिक संध्या में श्रोता
भाव विभोर हो उठे।
आयोजित कार्यक्रम के पहले दिन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ राजाराम यादव ने पनिया जो भरन गई री... सुना कर समा बांधा। इसके बाद ना मानूंगी, ना मानूंगी पिया बिना कृष्ण के मनाए... पर दर्शकों को खूब रिझाया। उन्होंने ठुमरी में कौन गली गयो श्याम बता दे मोरा... जब सुनाया तो पूरा हाल तालियों से गूंज उठा। इसी क्रम में तुम तना ना ना ना... और फूहर न जागी निकर आओ घमवा... सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। कुलपति प्रो डॉ राजाराम यादव के साथ तबले पर शंकर दा तथा वैभव बिंदुसार और वायलिन पर सुरेश जी ने संगत की।सह गायक के रूप में आशीष जायसवाल रहे।
जयपुर घराने से जुडी ग्वालियर से आयी प्रेरणा तिवारी ने गणेश वंदना पर कथक नृत्य की प्रस्तुति कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रेरणा तिवारी ने श्रृंगार को रहने दो... ठुमरी पर जबरदस्त कथक नृत्य की प्रस्तुति की। लखनऊ घराने के प्रतिष्ठित कथक कलाकार रवि सिंह ने ओम नमः शिवाय की ....धुन पर अर्धनारीश्वर नृत्य प्रस्तुत किया तो ऐसा लगा जैसे वास्तव में भगवान शिव और पार्वती का आगमन हाल में हो गया है। रवि सिंह के साथ रायबरेली से आए नवागत कलाकारों श्रद्धा सिंह, शताक्षी, क्षमता, अवनी, शेखर सिंह और संयम रावत ने रघुकुल रीति सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाए पर जोरदार नृत्य की प्रस्तुति की। सांस्कृतिक संध्या के इस समारोह में कथक और भरतनाट्यम दोनों की जुगलबंदी पर प्रेरणा तिवारी और रवि सिंह का महिषासुर वध नृत्य देखकर लोगों की आंखें खुली की खुली रह गई। समारोह के अंत में दोनों कलाकारों ने महारास प्रस्तुत किया जिसमें लोगों ने साक्षात् कृष्ण और राधा के दर्शन की अनुभूति की । इस अवसर पर कथावाचक आचार्य शांतनु जी महाराज ने शास्त्रीय गायन के लिए कुलपति प्रोफ़ेसर डॉ राजाराम को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इसके बाद कथक कलाकार रवि सिंह, प्रेरणा तिवारी समेत सभी कलाकारों को कुलपति प्रो डॉ राजाराम यादव , कुलसचिव सुजीत कुमार जायसवाल ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।संचालन डॉ अनुराग मिश्र ने किया।
आयोजित कार्यक्रम के पहले दिन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ राजाराम यादव ने पनिया जो भरन गई री... सुना कर समा बांधा। इसके बाद ना मानूंगी, ना मानूंगी पिया बिना कृष्ण के मनाए... पर दर्शकों को खूब रिझाया। उन्होंने ठुमरी में कौन गली गयो श्याम बता दे मोरा... जब सुनाया तो पूरा हाल तालियों से गूंज उठा। इसी क्रम में तुम तना ना ना ना... और फूहर न जागी निकर आओ घमवा... सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। कुलपति प्रो डॉ राजाराम यादव के साथ तबले पर शंकर दा तथा वैभव बिंदुसार और वायलिन पर सुरेश जी ने संगत की।सह गायक के रूप में आशीष जायसवाल रहे।
जयपुर घराने से जुडी ग्वालियर से आयी प्रेरणा तिवारी ने गणेश वंदना पर कथक नृत्य की प्रस्तुति कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रेरणा तिवारी ने श्रृंगार को रहने दो... ठुमरी पर जबरदस्त कथक नृत्य की प्रस्तुति की। लखनऊ घराने के प्रतिष्ठित कथक कलाकार रवि सिंह ने ओम नमः शिवाय की ....धुन पर अर्धनारीश्वर नृत्य प्रस्तुत किया तो ऐसा लगा जैसे वास्तव में भगवान शिव और पार्वती का आगमन हाल में हो गया है। रवि सिंह के साथ रायबरेली से आए नवागत कलाकारों श्रद्धा सिंह, शताक्षी, क्षमता, अवनी, शेखर सिंह और संयम रावत ने रघुकुल रीति सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाए पर जोरदार नृत्य की प्रस्तुति की। सांस्कृतिक संध्या के इस समारोह में कथक और भरतनाट्यम दोनों की जुगलबंदी पर प्रेरणा तिवारी और रवि सिंह का महिषासुर वध नृत्य देखकर लोगों की आंखें खुली की खुली रह गई। समारोह के अंत में दोनों कलाकारों ने महारास प्रस्तुत किया जिसमें लोगों ने साक्षात् कृष्ण और राधा के दर्शन की अनुभूति की । इस अवसर पर कथावाचक आचार्य शांतनु जी महाराज ने शास्त्रीय गायन के लिए कुलपति प्रोफ़ेसर डॉ राजाराम को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इसके बाद कथक कलाकार रवि सिंह, प्रेरणा तिवारी समेत सभी कलाकारों को कुलपति प्रो डॉ राजाराम यादव , कुलसचिव सुजीत कुमार जायसवाल ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।संचालन डॉ अनुराग मिश्र ने किया।