कायस्थ समाज ने किया कलम दवात का पूजन

जौनपुर। कायस्थ समाज ने कलम दावात और भगवान चित्रगुप्त जी महराज का मंगलवार को विधि विधान से पूजन किया। इस समाज ने अपने घरों तथा सामूहिक रूप से पूजन कर दीपावली की शाम से बन्द पठन पाठन का पूजन के बाद फिर से शुभारंभ किया। ज्ञात हो कि दिवाली के पांच दिवसीय त्योहार के आखिरी दिन   कायस्थ लोग ब्रह्मा जी के पुत्र भगवान चित्रगुप्त की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में भीष्म पितामह ने भी चित्रगुप्त भगवान की पूजा की थी और इसी पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें चित्रगुप्त द्वारा अमरता इच्छा मुत्यु का वरदान मिला था। कहा जाता है कि जिनकी आजीविका का माध्यम उनकी कलम है उन्हें जरूर यह पूजा करना चाहिए। भगवान चित्रगुप्त धर्मराज की सभा में पृथ्वीवासियों के पाप पुण्य का लेखा-जोखा करते हैं। शास्त्रों के अनुसार सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा जी ने दस हजार सौ वर्ष की समाधि लगाई। जब उनकी आंखें खुली तो उनके सामने हाथ में कलम-दवात लिये तेजस्वी, अतिसुन्दर विचित्रांग, स्थिर नेत्र वाले, एक पुरुष को खड़े देखा। उस अव्यक्त पुरुष को नीचे ऊपर देखकर ब्रम्हा जी ने समाधि छोडकर पूछा हे पुरुषोत्तम हमारे सामने स्थित आप कौन हैं। ब्रह्मा जी का यह वचन सुनकर वह पुरुष बोला हे विधे में आप ही के शरीर से उत्पन्न हुआ हूँ इसमें किंचित मात्र भी संदेह नहीं है। यह वाक्य सुनकर ब्रह्मा जी हंसकर प्रसन्न मुद्रा से बोले की मेरे शरीर से तुम उत्पन्न हुये हो इससे तुम्हारी कायस्थ संज्ञा है और पृथ्वी पर चित्रगुप्त तुम्हारा नाम विख्यात होगा। धर्मराज की यमपुरी धर्माधर्म वितार के लिए तुम्हारा निश्चित निवास होगा।

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