बाल कलाकार आराध्य प्रवीण के तबले पर दर्शक झूमे
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जौनपुर।
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के महंत अवैद्यनाथ संगोष्ठी भवन
में स्थापना सप्ताह के तहत सांस्कृतिक संध्या में दूसरे दिन बुधवार को
लखनऊ घराने की कथक कलाकार मनीषा मिश्रा और बाल कलाकार आराध्य प्रवीण ने
तबला वादन कर धमाल मचा दिया। पूरा हाल तालियों से लगातार गूंजता रहा।
संगीत संध्या की शुरुआत हंस ध्वनि राग से हुई इसमें तबला और वायलिन की जुगलबंदी पेश की गई। तबले पर शंकर दा,बांसुरी पर सुनील और वायलिन पर सुरेश ने युगलबंदी कर समा बांध दिया। इसके बाद लखनऊ से आये बाल कलाकार आराध्य प्रवीण ने जब तबले पर प्रस्तुति दी तो दर्शक वाह -वाह कर उठे । उन्होंने बेदम, अतिवेतन , चक्करदार, अनागत और तीन ताल पर जोरदार प्रस्तुति की। उनकी दमदार प्रस्तुति से मंत्रमुग्ध होकर दर्शक बाल कलाकार को अपने स्थान पर खड़े होकर सम्मान दिया। संगीत समारोह के अगले चरण में लखनऊ घराने की कथक नृत्यांगना मनीषा मिश्रा ने अपने प्रस्तुति दी। शुरुआत ...या देवी सर्वभूतेषु की धुन पर की।इसमें महिषासुर मर्दिनी का अभिनय देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने कहा कि नृत्य मेरे लिए एक महा समुद्र के समान है। मुझे इसके एक-एक बूंद का स्वाद चखना है। इसके बाद उन्होंने ताल त्रिताल-16 मात्रा के अंतर्गत उपज, घाट, आमद, उठान, परन लयवाट की जोरदार प्रस्तुति की। समारोह का समापन उन्होंने लय ताल में घोड़े की चाल, हिरण और शेर की चाल से किया। इस दौरान कथानक के अनुसार उनकी भाव भंगिमा बन जाती थी। जिसे देख कर लोग अपनी ताली बजाना नहीं रोक पाए । समारोह में लखनऊ से आये संगीतकार पंडित रविंद्र नाथ मिश्र, अराध्य प्रवीण का तबला वादन, हारमोनियम पर प्रवीण कश्यप और सारंगी पर पंडित विनोद मिश्र ने संगत की और गायन में मंजूषा मिश्रा ने साथ दिया। सभी कलाकारों को आचार्य शांतनु जी , कुलपति प्रो डॉ राजाराम यादव, कुलसचिव सुजीत जायसवाल , वित्त अधिकारी एमके सिंह , प्रो अजय द्विवेदी ने कलाकारों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। संचालन डॉ अनुराग मिश्र ने किया।
संगीत संध्या की शुरुआत हंस ध्वनि राग से हुई इसमें तबला और वायलिन की जुगलबंदी पेश की गई। तबले पर शंकर दा,बांसुरी पर सुनील और वायलिन पर सुरेश ने युगलबंदी कर समा बांध दिया। इसके बाद लखनऊ से आये बाल कलाकार आराध्य प्रवीण ने जब तबले पर प्रस्तुति दी तो दर्शक वाह -वाह कर उठे । उन्होंने बेदम, अतिवेतन , चक्करदार, अनागत और तीन ताल पर जोरदार प्रस्तुति की। उनकी दमदार प्रस्तुति से मंत्रमुग्ध होकर दर्शक बाल कलाकार को अपने स्थान पर खड़े होकर सम्मान दिया। संगीत समारोह के अगले चरण में लखनऊ घराने की कथक नृत्यांगना मनीषा मिश्रा ने अपने प्रस्तुति दी। शुरुआत ...या देवी सर्वभूतेषु की धुन पर की।इसमें महिषासुर मर्दिनी का अभिनय देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने कहा कि नृत्य मेरे लिए एक महा समुद्र के समान है। मुझे इसके एक-एक बूंद का स्वाद चखना है। इसके बाद उन्होंने ताल त्रिताल-16 मात्रा के अंतर्गत उपज, घाट, आमद, उठान, परन लयवाट की जोरदार प्रस्तुति की। समारोह का समापन उन्होंने लय ताल में घोड़े की चाल, हिरण और शेर की चाल से किया। इस दौरान कथानक के अनुसार उनकी भाव भंगिमा बन जाती थी। जिसे देख कर लोग अपनी ताली बजाना नहीं रोक पाए । समारोह में लखनऊ से आये संगीतकार पंडित रविंद्र नाथ मिश्र, अराध्य प्रवीण का तबला वादन, हारमोनियम पर प्रवीण कश्यप और सारंगी पर पंडित विनोद मिश्र ने संगत की और गायन में मंजूषा मिश्रा ने साथ दिया। सभी कलाकारों को आचार्य शांतनु जी , कुलपति प्रो डॉ राजाराम यादव, कुलसचिव सुजीत जायसवाल , वित्त अधिकारी एमके सिंह , प्रो अजय द्विवेदी ने कलाकारों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। संचालन डॉ अनुराग मिश्र ने किया।