सीता के साथ अयोध्या पहुंचे भगवान, उत्सव का हुआ माहौल

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के महंत अवैद्यनाथ संगोष्ठी भवन में श्रीराम कथा अमृत वर्षा के पांचवें  दिन आचार्य श्री शान्तनु महाराज ने कहा कि मानस कल्पवृक्ष है तो बालकांड इस वृक्ष की जड़ है, जिसका जड़ जितना मजबूत और गहरा होता है वह उतने दिन तक लोगों को छाया और लाभ पहुंचाता है। उन्होंने कहा कि पद, पैसा और प्रतिष्ठा आने के बाद मानव भगवान से दूर हो जाता है वह मंदिर की जगह घर में ही मानस का पाठ कर सकता है मगर वह ऐसा नहीं करता। उन्होंने कहा कि मानस वह ग्रंथ है जो जीवन की ग्रंथियों को खोल देता है। उन्होंने आयोध्या कांड का सुन्दर वर्णन किया  कहा कि भगवान् राम जब सीता के साथ  विवाहित होकर अयोध्या आये तो अयोध्या की दशा बदल चुकी थी नित्य उत्सव और चारों तरफ आनंद ही आनंद का माहौल था और मेघ वर्षा कर रहे थे. उन्होंने भगवान राम के युवा काल का चित्रण किया। कहा कि  जिनको युवा काल में गुरु मिल जाते है उनका जीवन जीवन धन्य हो जाता है. कथा में कुलपति प्रो डॉ राजाराम यादव, कुलसचिव सुजीत कुमार जायसवाल,वित्त अधिकारी एमके सिंह, परीक्षा नियंत्रक बीएन सिंह, डॉ केएस तोमर, मुख्य अभियंता राम विजय सिंह, प्रो रंजना प्रकाश, प्रो वंदना राय, प्रो हरिप्रकाश, प्रो बीडी शर्मा , प्रो एके श्रीवास्तव, डॉ. सुभाष चंद्र विश्नोई, डॉ राजीव कुमार, डॉ0 सुशील कुमार सिंह, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर  समेत तमाम लोग मौजूद रहे. संचालन डॉ मनोज मिश्र ने किया।

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