पंडित सत्यप्रकाश मिश्र के गायन नें बांधा समा
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जौनपुर। वीर बहादुर
सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर के महंत अवैद्यनाथ संगोष्ठी भवन में
स्थापना सप्ताह के तहत सांस्कृतिक संध्या में अंतिम दिन गुरुवार को अयोध्या
से आए शास्त्री गायन के महान हस्ताक्षर पंडित सत्यप्रकाश मिश्र की गजल और
ठुमरी में समा बांधा।
प्रयागराज से आये प्रख्यात सितार वादक प्रोफ़ेसर साहित्य कुमार नाहर और शोभित कुमार नाहर ने वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जाने रे... भजन से शुरुआत की। इसके बाद राग वाचस्पति में स्वर और ताल की जुगलबंदी से पूरा सभागार झंकृत हो गया। इसी क्रम में मिर्जापुर की कजरी पर आधारित धुन को स्वर के माध्यम से प्रस्तुत किया। उनके साथ तबले पर संगत नंदकिशोर मिश्र ने की। महोबा से आए द्रुपद गायक पंडित जयनारायण शर्मा ने हाय पिया कल रतिया पर ... ध्रुपद गायन पेश किया। उन्होंने जब अमीर खुसरो की प्रसिद्द छाप तिलक सब छीनी मोसे नैना मिलाइके..सुनाया तो दर्शक झूमने पर मजबूर हो गए। साथ में तबले पर संगत राजेश यादव ने की .संस्कृत संध्या के अंतिम दिन अयोध्या के सत्य प्रकाश मिश्र ने बंदिश से शुरुआत की। उन्होंने ...सोचत काहे हे मनवा कौशिक कांगड़ा सुनाया, तो दर्शक भावुक हो गए। इसके बाद रंगी सारी गुलाबी चुनरिया रे... सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। अंत में जब उन्होंने किसी से उनकी मंजिल का पता पाया नहीं जाता।जहां है वह, फरिश्तों का साया नहीं जाता।। सुनाया तो तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गूंज उठा। उनके साथ तबले पर संगत लालजी मलिक ने की। इस अवसर पर सभी कलाकारों को कथावाचक आचार्य शांतनु जी महाराज , कुलपति प्रोफेसर डॉ राजाराम यादव, कुलसचिव सुजीत कुमार जायसवाल, वित्त अधिकारी एमके सिंह, परीक्षा नियंत्रक बीएन सिंह, प्रोफेसर अजय द्विवेदी ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ मनोज मिश्र ने किया।
प्रयागराज से आये प्रख्यात सितार वादक प्रोफ़ेसर साहित्य कुमार नाहर और शोभित कुमार नाहर ने वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जाने रे... भजन से शुरुआत की। इसके बाद राग वाचस्पति में स्वर और ताल की जुगलबंदी से पूरा सभागार झंकृत हो गया। इसी क्रम में मिर्जापुर की कजरी पर आधारित धुन को स्वर के माध्यम से प्रस्तुत किया। उनके साथ तबले पर संगत नंदकिशोर मिश्र ने की। महोबा से आए द्रुपद गायक पंडित जयनारायण शर्मा ने हाय पिया कल रतिया पर ... ध्रुपद गायन पेश किया। उन्होंने जब अमीर खुसरो की प्रसिद्द छाप तिलक सब छीनी मोसे नैना मिलाइके..सुनाया तो दर्शक झूमने पर मजबूर हो गए। साथ में तबले पर संगत राजेश यादव ने की .संस्कृत संध्या के अंतिम दिन अयोध्या के सत्य प्रकाश मिश्र ने बंदिश से शुरुआत की। उन्होंने ...सोचत काहे हे मनवा कौशिक कांगड़ा सुनाया, तो दर्शक भावुक हो गए। इसके बाद रंगी सारी गुलाबी चुनरिया रे... सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। अंत में जब उन्होंने किसी से उनकी मंजिल का पता पाया नहीं जाता।जहां है वह, फरिश्तों का साया नहीं जाता।। सुनाया तो तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गूंज उठा। उनके साथ तबले पर संगत लालजी मलिक ने की। इस अवसर पर सभी कलाकारों को कथावाचक आचार्य शांतनु जी महाराज , कुलपति प्रोफेसर डॉ राजाराम यादव, कुलसचिव सुजीत कुमार जायसवाल, वित्त अधिकारी एमके सिंह, परीक्षा नियंत्रक बीएन सिंह, प्रोफेसर अजय द्विवेदी ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ मनोज मिश्र ने किया।