चौथे दिन दुर्गा पंडालों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
https://www.shirazehind.com/2019/10/blog-post_4.html
जौनपुर। नवरात्र के चौथे दिन देवी मन्दिरों एवं दुर्गापूजा पण्डालों में पूजन दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी रही। मां ष्षीतला धाम चैकिया, मैहर मन्दिर परमानतुपर सहित अन्य षक्तिपीठों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी। ग्रामीण क्षेत्रों में भी पूजा पंडालों मे आरती के लिए देर रात तक श्रद्धालुओं की भारी भीड उमड रही है ग्रामीण क्षेत्रो में दुर्गा पूजा समिति द्वारा आकर्षक पंडाल सजाया गया है । सिकरारा क्षेत्र के कलवारी, शेरवां, रामनगर व टीकरी ग्रामीण क्षेत्र के ब्राम्हण, बस्ती में टिकरी बीर बाबा के मन्दिर पर सहित गांवों में भी पूजा पंडाल बनाकर माँ दुर्गा की पूजा अर्चना किया जा रहा है । ज्ञात हो कि नवरात्र के चैथे दिन शक्ति की देवी मां दुर्गा के स्वरूप माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जब इस संसार में सिर्फ अंधकार था तब देवी कूष्मांडा ने अपने ईश्वरीय हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी. यही वजह है क िदेवी को सृष्टि के रचनाकार के रूप में भी जाना जाता है. इसी के चलते इन्हें ‘आदिस्वरूपा’ या ‘आदिशक्ति’ कहा जाता है। नवरात्र के चैथे दिन मां कूष्मांडा के पूजन का विशेष महत्व है. पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार जो भी भक्त सच्चे मन से नवरात्र के चैथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा करता है उसे आयु, यश और बल की प्राप्ति होती है।‘कु’ का अर्थ है ‘कुछ’, ‘ऊष्मा’ का अर्थ है ‘ताप’ और ‘अंडा’ का अर्थ है ‘ब्रह्मांड’. शास्त्रों के अुनसार मां कूष्मांडा ने अपनी दिव्य मुस्कान से संसार में फैले अंधकार को दूर किया था. चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए माता कूष्मांडा को सभी दुखों को हरने वाली मां कहा जाता है. इनका निवास स्थान सूर्य है. यही वजह है माता कूष्मांडा के पीछे सूर्य का तेज दर्शाया जाता है. मां दुर्गा का यह इकलौता ऐसा रूप है जिन्हें सूर्यलोक में रहने की शक्ति प्राप्त है. देवी को कुम्हड़े की बालि प्रिय है।