मां कात्यायनी के पूजन अर्चन को उमड़े श्रद्धालु

जौनपुर। शारदीय नवरात्र के छठवें दिन जिले के प्रमुख शक्तिपीठों तथा पूजा पण्डालों में मां का दर्शन पूजन करने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। सवेरे से ही मां शीतला धाम चौकिया और मैहर मन्दिर परमानतपुर सहित विभिन्न देवी मन्दिरों में मां के जयकारे लगने लगे। जहां   श्रद्धालुओं ने पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मां का पूजन अर्चन किया। इस दौरान मां के जयकारे से पूरा इलाका गूंजता रहा। दूर-दराज से मां के दरबार पहुंचे श्रद्धालुओं ने नारियल व चुनरी चढ़ा कर मातारानी से कुशलता की कामना की। वहीं सुरक्षा के मद्देनजर विभिन्न देवी मंदिरों पर   पुलिस तैनात रही। मां के दर्शन-पूजन का सिलसिला शाम तक चलता रहा। हाथों में श्रद्धा के पुष्प और मन में आस्था लिए श्रद्धालु मातारानी का जयकारा लगाते नजर आए। ज्ञात हो कि नवरात्र के नौ दिनों में देवी कात्यायनी मां दुर्गा का छठवां अवतार है। मां कात्यायनी की पूजा कन्याओं के लिए विशेष फलदायी है। मान्यता है कि उन्हें सुंदर घर और वर प्राप्त होता है। ऐसी मान्यता है कि  मां कात्यायनी महर्षि कात्यायन की पुत्री हैं। भगवान कृष्ण को पतिरूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने माता की पूजा की थी। मां ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। मां कात्यायनी की पूजा से वैवाहिक जीवन की शुरुआत अच्छी होती है। इनका वाहन सिंह है और इनकी चार भुजाएं हैं। यह देवी अमोध फल देने वाली हैं। इनकी उपासना से रोग, शोक और भय नष्ट हो जाते हैं। महिषासुर राक्षस का वध करने के कारण इनका एक नाम महिषासुर मर्दिनी भी है। दुर्गा पूजा के छठे दिन भी सर्वप्रथम कलश व देवी कात्यायनी जी की पूजा की जाती है। पूजा की विधि शुरू करने पर हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान किया जाता है। देवी की पूजा के पश्चात महादेव और परम पिता की पूजा करनी चाहिए। श्री हरि की पूजा देवी लक्ष्मी के साथ ही करनी चाहिए। मनोकामना मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी मानी गई हैं। शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में प्रयासरत भक्तों को माता की अवश्य उपासना करनी चाहिए।

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